धर्म हमें प्रदान करता है मोक्ष का मार्ग: वेदार्थी

- सहारनपुर में पत्रकारों से वार्ता करते वैदिक विद्वान आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी।
सहारनपुर [24CN] । वैदिक विद्धान आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी ने कहा कि धर्म हमें वर्तमान जीवन के अभ्युदय व मोक्ष का मार्ग प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के पुरूषार्थ के कारण समाज से सती प्रथा व महिलाओं को शिक्षा के अधिकारी वंचित रखे जाने जैसी कुरीतियां समाप्त हुई है। आचार्य विष्णुमित्र वेदार्थी आज यहां रामनगर में वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरेन्द्र शर्मा के आवास पर आयोजित 15 दिवसीय ऋग्वेद परायण महायज्ञ के दौरान पत्रकारों के साथ वार्ता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि धर्म एक होता है जबकि सम्प्रदाय अनेक होते हैं। यह सम्प्रदाय के मूल में व्यक्ति होते हैं, उन व्यक्तियों के बिना सम्प्रदायों का कोई अस्तित्व नहीं है।
उन्होंने कहा कि धर्म सर्वकालिक, सार्वदेशिक है, एवं ईश्वरीय होता है। धर्म का मूल ईश्वर की वाणी वेद है, वेद समस्त ज्ञान-विज्ञान से ओतप्रोत है। उन्होंने कहा कि वैदिक ज्ञान द्वारा पारिवारिक सामाजिक, राष्ट्रीय व वैश्विक कर्तव्यों का बोध होता है। उन्होंने संस्कृति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो गुण शरीर और मुख्य रूप से आत्मा का उत्थान करते हैं, उन्हें संस्कृति कहते हैं, अहिंसा, सत्य आचरण, अस्तेय ब्रहमचर्य आदि गुणों से आत्मा का उत्थान होता है। उन्होंने कहा कि यह गुण सब मनुष्यों के लिए एक समान उपकरण होने के कारण विश्व की संस्कृति एक ही है, इसलिए हमें वेद के गुणों को अपना कर वैदिक संस्कृति को धारण करना चाहिए इसके अतिरिक्त जो सभा में जो उठने-बैठने के नियम हैं, उन्हें ही सभ्यता कहते हैं। उन्होंने कहा कि सभ्यता बाहरी वस्तु है और संस्कृति आंतरिक होने से मन व आत्मा को पवित्र करती है। उन्होंने कहा कि आज संसार में विभिन्न सम्प्रदाय चल रहे हैं, उन सम्प्रदायों में सत्य व असत्य का मिश्रण है, किन्तु धर्म में केवल सत्य ही होता है, इसलिए हमें सत्य का प्रचार प्रसार कर साम्प्रदायिकता से मुक्ति दिलाकर देश, धर्म, संस्कृति का उपकार करना चाहिए।
एक सवाल के जवाब में श्री वेदार्थी ने कहा कि आज समाज में आर्य समाज के पुरूषार्थ के कारण सती प्रथा व महिलाओं को शिक्षा के अधिकार से वंचित रहने जैसी कुरीतियां समाप्त हुई है। आर्य समाज ने विधवा विवाह, समान शिक्षा, सबको यज्ञ व यज्ञोपवित्र दिलाकर सिद्ध किया है कि वर्ण व्यवस्था को जन्म व्यवस्था जन्म से नहीं बल्कि गुण से है। उन्होंने कहा कि आर्य समाज के क्षेत्र में कन्याओं को भी सर्वश्रेष्ठ मनुष्यों को पुरोहित आदि नेतृत्व करने का अधिकार प्रदान किया गया। वार्ता के दौरान ब्रहमचारी नितेश वेदांलंकार, डा. संध्या, वरिष्ठ कांग्रेस नेता नरेन्द्र शर्मा, कांग्रेस महानगर अध्यक्ष वरूण शर्मा, नीरज शर्मा, मनीष शर्मा भी मौजूद रहे।