तरावीह की २० रकाअत को घटाना नाजायज: दारुल उलूम
- कर्नाटक से पूछे सवाल के जवाब में दारुल उलूम ने दिया फतवा
देवबंद [24CN] : इस्लामिक शिक्षण संस्था दारुल उलूम के दारुल इफ्ता विभाग के मुफ्तियों ने पवित्र रमजान माह की विशेष नमाज तरावीह की २० रकाअत को घटाकर कम करने को नाजायज बताया है। कोरोना महामारी को लेकर शासन और स्वास्थय विभाग की गाइडलाइन के मद्देनजर कर्नाटक से पूछे गए सवाल के जवाब में मुफ्तियों ने फतवा जारी किया है। जिसे बहुत ही अहम माना जा रहा है।
कोरोना संक्रमण और शासन प्रशासन की पाबंदियों को ध्यान में रखते हुए तरावीह की बीस रकाअत को घटाकर कम कर दिए जाने को दारुल उलूम ने नाजायज करार दिया है। साथ ही कहा है कि कुछ लोग मस्जिद में तरावीह की नमाज पढ़ लें और बाकी लोग अपने घरों में नमाज अदा कर सकते हैं। मदरसा दावतुल कुरआन मानवी जिला रायचूर (कर्नाटक) के सैयद हसन जीशान कादरी ने दारुल उलूम के दारुल इफ्ता विभाग के मुफ्तियों से लिखित सवाल किया था कि कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के चलते शासन प्रशासन ने देश के अलग अलग हिस्सों में पूर्ण लॉकडाउन लगाया हुआ है। जबकि कुछेक जगह रात्रि लॉकडाउन घोषित है। जिसकी वजह से मस्जिदों में तरावीह की बीस रकाअत पढना मुश्किल होता है।
कई शहरों में मस्जिदों के जिम्मेदार यह तक सोच रहे हैं कि इस वर्ष बीस रकाअत तरावीह को घटाकर दस रकाअत पढ़ ली जाए। इस पर मुफ्तियों की खंडपीठ ने फतवा जारी कर कहा है कि तरावीह की रकाअतों को घटाना किसी भी सूरत में जायज नहीं है। तरावीह की नमाज सुन्नत अलल किफाया है। अगर चंद लोग मस्जिद में मुख्तसर तिलावत के साथ तरावीह की नमाज जमात से पढ़ लें तो सुन्नत किफाया अदा हो जाएगी। बाकी लोग अपने घरों में तरावीह की नमाज पढ़ सकते हैं। इतना ही नहीं मुफ्तियों ने फतवे में लोगों को यह भी नसीहत दी कि वैश्विक महामारी कोरोना वायरस को लेकर शासन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की गाइडलाइनका विशेष रुप से ख्याल रखा जाए। साथ ही रमजान माह में अल्लाह की इबादत कर महामारी के खात्मे के लिए दुआ करें।