राम मंदिर के निर्माण को लेकर दो खेमों में बंटी विहिप, अधिकार पर तकरार
राम मंदिर निर्माण को लेकर सुप्रीम कोर्ट से स्पष्ट निर्णय के बावजूद विश्व हिंदू परिषद बुधवार को दो खेमों में बंटी नजर आई। विहिप ने अपने प्रभुत्व वाले श्रीराम जन्मभूमि न्यास की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि अब उनका न्यास राम मंदिर बनाने के लिए कानूनन योग्य नहीं है।
कोर्ट के आदेश से सरकार को नया ट्रस्ट बनाना है। वहीं इसी ट्रस्ट के अध्यक्ष ने दावा किया कि हम राम मंदिर बनाएंगे, सरकार इसमें शामिल हो सकती है।
विहिप ने कहा कि हम राम मंदिर निर्माण के लिए जुटाई अपनी सारी संपत्ति व तैयारी सरकार को देने के लिए तैयार हैं। इस नई लड़ाई के बाद हलचल मच गई है। मामले में दिल्ली से लेकर लखनऊ तक रिपोर्ट मांगे जाने से खुफिया एजेंसियां भी सतर्क दिखीं।
वहीं, श्रीराम जन्मभूमि की अधिगृहीत भूमि के रिसीवर व कमिश्नर मनोज मिश्र ने कहा कि विहिप व साधु-संतों की हर गतिविधि पर प्रशासन की नजर है। मंदिर-मस्जिद के निर्माण में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ही पालन होगा।
सरकार चाहे तो अधिग्रहण कर ले न्यास
नया ट्रस्ट बनाने की आवश्यकता नहीं
सरकार को कोई नया ट्रस्ट बनाने की आवश्यकता नहीं है। राम मंदिर निर्माण के लिए पहले से ही श्रीराम जन्म न्यास बना है, उसी में और संख्या बढ़ाकर निर्माण कार्य हो जाएगा। प्रधानमंत्री की गरज होगी तो वह हजार बार अयोध्या आएंगे, अयोध्या किसी को बुलाने नहीं जाती।
-महंत नृत्यगोपाल दास, अध्यक्ष, श्रीराम जन्मभूमि न्यास
रामालय ट्रस्ट का दावा खारिज हुआ तो कोर्ट जाएंगे
रामालय ट्रस्ट पहले से मौजूद है। सरकार का काम मंदिर-मस्जिद बनाना नहीं है। मंदिर बनाने के लिए हम बृहस्पतिवार को केंद्र सरकार के समक्ष अपने ट्रस्ट का दावा प्रस्तुत करेंगे। यदि सरकार इसे खारिज करती है तो हम कोर्ट जाएंगे।
-स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद, सचिव रामालय ट्रस्ट
हिंदू-मुस्लिम पक्षकार भी दिखे सक्रिय, निर्मोही अखाड़ा एक सप्ताह में बुलाएगा पंचायत
एक सप्ताह के भीतर पंचायत बुलाकर अखाड़ा के पंच आगे की रणनीति तय करेंगे। मंदिर के लिए सरकार को ट्रस्ट बनाने का अधिकार है, अन्य को रामजी के लिए सब समर्पित करना चाहिए।
-महंत दिनेंद्र दास, निर्मोही अखाड़ा
हमारी पहुंच में होनी चाहिए मस्जिद
सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि अयोध्या में प्रमुख जगह पर मस्जिद के लिए जमीन दी जाए, यह जमीन हमारी पहुंच में होनी चाहिए। अयोध्या से बाहर मस्जिद बनने का औचित्य नहीं है। हम सुप्रीम कोर्ट और सरकार की बात मानेंगे, वह सांस्कृतिक सीमा के भीतर जमीन दे या बाहर।
-इकबाल अंसारी, मुस्लिम पक्षकार