साक्षात् जागृत गुरू रूप में परम सत्ता है रामकृष्ण परमहंस: कालेंद्रानं

साक्षात् जागृत गुरू रूप में परम सत्ता है रामकृष्ण परमहंस: कालेंद्रानं
  • सहारनपुर में गुरू पूर्णिमा पर कालेंद्रानंद महाराज से आशीर्वाद लेती श्रद्धालु महिला।

सहारनपुर [24CN]। स्वामी कालेंद्रानंद महाराज ने कहा कि गुरू ही ब्रह्मरूप सृष्टि की परम सत्ता है। स्वामी कालेंद्रानंद महाराज आज यहां राधा विहार स्थित महाशक्ति पीठ वैष्णवी महाकाली मंदिर में आयोजित गुरू पूर्णिमा महोत्सव को सम्बोधित कर रहे थे। महोत्सव में श्री रामकृष्ण विवेकानंद संस्थान के तत्वावधान में सद्गुरू रामकृष्ण परमहंस की अष्टधातु की प्रतिमा का विष्णु सहस्त्रनाम से महाभिषेक किया गया। तत्पश्चात वस्त्र अर्पण कर महाभोग लगाया गया।

श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए स्वामी कालेंद्रानंद महाराज ने कहा कि गुरू ही सत, रज, तम रूप में सृष्टि की परम सत्ता है जो कण-कण में व्याप्त है। अजर-अमर अविनाशी, अनंत है और परा और अपरा महाविद्या का जागृत रूप है जो सृष्टि के प्रत्येक तत्व में विराजमान है। उन्होंने कहा कि सद्गुरू रामकृष्ण परमहंस साक्षात् जागृत गुरू रूप परम सत्ता है जिनके द्वारा स्वामी विवेकानंद को मंत्र दीक्षा के माध्यम से सभी सत्ता प्रदान की गई और स्वामी विवेकानंद ने सद्गुरू के आशीर्वाद से ही 1893 में शिकागो में विश्व धर्म सम्मेलन में भारतीय संस्कृति को विश्व धर्म गुरू के रूप में स्थापित किया और यह उनके गुरू रामकृष्ण परमहंस के आशीर्वाद से ही सम्भव हुआ।

इस दौरान स्वामी कालेंद्रानंद महाराज ने सद्गुरू की पवित्र गद्दी से असम के लोगों को मंत्र दीक्षा गुरूनाम दिया गया जिनमें हेमंत गुप्ता, कृष्णलाल शर्मा, सेठपाल कश्यप, अमित सैनी, कविता शर्मा, पूनम यादव, कृष्णा यादव, अमित बजाज आदि मौजूद रहे।

इस अवसर पर पं. श्याम शर्मा, पं. योगेश तिवारी, पं. नीरज मिश्रा, राजेंद्र, रमेश शर्मा, संजय राणा, भूपेंद्र पुंडीर, उमेश त्यागी, रामगोपाल कश्यप, गीता, कविता, वर्षा, बबली, करूणा, ममता, इंदिरा, शैलेश, सुमन आदि श्रद्धालु मौजूद रहे।


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