सब्र और बर्दाश्त का प्रदर्शन करने वाला महीना है रमजान
देवबंद [24CN] : मदरसा जामिया शेखुल हिंद के मोहतमिम मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि मजहब-ए-इस्लाम में रमजान महीने का रोजा एक अहम रूकन (भाग) है। रोजे का सवाब अल्लाह अपने बंदों को खुद देता है।
रमजान की विशेषता पर रोशनी डालते हुए मौलाना मुफ्ती असद कासमी ने कहा कि हदीस में अल्लाह ने फरमाया है कि बंदा रोजा सिर्फ मेरे लिए रखता है, सुबह से शाम तक भूखा प्यासा रहता है। अपनी इच्छाओं पर काबू करता है, गुनाहों से बचता है और मेरी खुशी हासिल करने के लिए सब्र और बर्दाश्त का प्रर्दशन करता है। इसलिए इसका बदला और सवाब में खुद अपने हाथो से अपने बंदो को दूंगा।
उन्होंने कहा कि रोजों से पवित्र महीने रमजान को अल्लाह ने तीन भागों में विभाजित किया है। पहला अशरा (पहले दस दिन) रहमत का, दूसरा अशरा मगफिरत और अतिंम अशरा दोजख से निजात का है। कहा कि रोजा एक ऐसी इबादत है जो मनुष्य के लिए शारीरिक और व्यवहारिक तौर पर फायदेमंद है। इसलिए मुसलमानों को इस मुकद्दस महीने की बहार को जमकर लूटना चाहिए।