राम रावण युद्ध मे राम ने दशानन का वध कर विभिषण को लंका का राज्य सोंपा

- सीता जी ने अग्नि परीक्ष देकर अपनी शुद्धता प्रमाणित की
नकुड [24CN]। नगर मे चल रही रामलीला के अंतिम चरण मे रामरावण युद्ध मे रावण वध का मंचन किया गया । रावण वध के बाद माता सीता के वानर सेना के शिविर मे आने पर भगवान राम द्वारा सीता की अग्नि परीक्षा का मंचन भी किया गया।
मेघनाद वध के बाद लंकेश रावण समझ गया कि अब युद्ध अंतिम चरण मे है। पूरे परिवार को युद्ध में झोंकने के बाद एक योद्ध की भांति रावण ने स्वंय श्री राम का मुकाबला करने का निर्णय लिया। रावण युद्ध मे आया तो वानर सेना भी श्री राम के नेर्तत्व में उत्साह के साथ राक्षस सेना से युद्ध करने लगी। राम रावण का वध करने का जितना प्रयास करते रावण उतनी ही तेजी के साथ वानर सेना को पिडित करने लगा। कई कई बार सिर कटने के बाद भी दशानन रावण के सिर उगने लगे तो विभिषण ने श्री राम को बताया कि रावण की नाभि मे अमृत है। जब तक उसे समाप्त नंही किया जायेगा रावण का वध संभव नंही है।

चिभिषण के सुझाव पर अमल करते हुए भगवान श्री राम ने रावण की नाभि में अग्नि बाण का संधान किया। जिससे उसकी नाभि अमृत सूख गया । उसके बाद श्री राम ने दशानन रावण के सिर व भूजा अपने बाधो से काट दी। रावण वध से राक्षस सेना मे हाहाकार मच गया। तब श्री राम ने विभिषण का रावण के अंतिम संस्कार करने का निर्देश दिया। तथा लक्ष्मण ने विभिषण को लंका के राजसिंहासन पर आसीन कर राजतिलक कराया। विभिषण माता सीता को सम्मान सहित श्रीराम के पास ले गये। श्री राम ने लोकलाज का ध्यान करते हुए सीता जी से अग्नि परीक्षा के लिये कहा। तो सीता जी की छवि अग्नि मे प्रवेश कर गयी । ओर उनकी जगह अभी तक अग्नि की गोद मे सुरक्षित रही सीता माता बाहर निकल आयी। जिसके बाद रामलीला के दर्शको के जय सिया राम के नारो के साथ रामलीला का समापन हो गया। दर्शको ने कलाकारो के अभिनय की जीभरकर सराहना की।