विपक्ष कमजोर न होता तो आज आंदोलनरत न होता, राकेश टिकैत का छलका दर्द

नई दिल्ली । कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा धरना आज भी जारी रहा। वहीं भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि देश में विपक्ष बेहद कमजोर है। अगर विपक्ष कमजोर न होता तो आज किसान आंदोलनरत नहीं होता। राजनीति में जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति में जाने का अब कोई सवाल ही नहीं उठता। कृषि कानून के विरोध में आंदोलन की अलख देश भर में पंचायत कर फैलाएंगे। यूपी बार्डर पर कृषि कानून विरोधी धरने में उन्होंने कहा कि देश का किसान कमजोर नहीं है, लेकिन सरकार उसे नए कानून लाकर कमजोर करने का प्रयास कर रही है।
किसानों की तमाम समस्याओं को लेकर वह देश भर के विभिन्न प्रदेशों में पंचायत कर रहे हैं, जिसमें आंदोलन की अलख जगाएंगे। एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अब राजनीति में जाने का कोई सवाल ही नहीं है। वह बीते दिनों की बात हो गई। अब सिर्फ किसानों की समस्याओं को हर कदम पर उठाएंगे।
इसके लिए वह दिन-रात काम कर रहे हैं। उन्होंने मौजूदा सरकार और विपक्ष के सवाल पर कहा कि सरकार मनमर्जी करने पर लगी है। विपक्ष अगर कमजोर नहीं होता तो इतने दिनों तक किसानों को आंदोलन नहीं करना पड़ता। किसान आज कृषि कानून का विरोध, एमएसपी पर कानून की मांग कर रहा है, लेकिन सरकार सुनने को तैयार नहीं है। विपक्ष की कमजोरी का ही सरकार लाभ उठा रही थी, लेकिन अब किसान अपने हक के लिए लड़ रहा है, जिसे वह वापस लेकर घरों को लौटेगा।
जैसे पानी आया वैसे आएगा तेल
भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि गर्मी बढ़ रही है आंदोलन स्थल पर 200 किलोवाट के जेनरेटर लगेंगे। किसान पंखे से लेकर एयर कंडीशन में रहेगा। गांव-गांव से जैसे पानी आंदोलन में पहुंचा ठीक वैसे ही तेल भी आएगा। यहां कोई तेल नहीं खरीदेगा। इसके लिए किसान अपने साथ तेल लेकर आएंगे।
होगी महापंचायत
मुजफ्फरनगर में महापंचायत होगी, जो तीन दिन तक चलेगी। भाकियू नेता राकेश टिकैत ने कहा कि इस पंचायत में खाने-पीने से लेकर रहने की व्यवस्था गांव वाले करेंगे। इसमें आने वाले लोगों को न्यौता दिया जाएगा। यह कब होगी अभी इसकी तारीख तय होना बाकी है। अठवाडिया बने: कृषि कानून विरोधी धरने में आने वालों से राकेश टिकैत ने आह्वान किया कि वह अठवाडिया (आठ दिन रुकने वाला) बने। जैसे पहले मेहमान आठ दिन के लिए आते थे। ठीक वैसे ही जिस दिन आएं अगले सप्ताह उसी दिन जाएं। यानि अठवाडिया बनकर यहां आएं।