INS विक्रांत से राजनाथ सिंह का सख्त संदेश: “इस बार ओपनिंग नेवी के हाथों हो सकती है”

मुंबई – रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को स्वदेशी विमानवाहक पोत INS विक्रांत का दौरा करते हुए भारतीय नौसेना की शक्ति का प्रदर्शन किया और पाकिस्तान को कड़ा संदेश दिया। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता के बाद अपने संबोधन में उन्होंने नौसेना की चुपचाप परंतु निर्णायक भूमिका की सराहना की और कहा कि आवश्यकता पड़ने पर अगली कार्रवाई की शुरुआत नौसेना से हो सकती है।
नेवी की चुप्पी ही उसकी सबसे बड़ी ताकत
राजनाथ सिंह ने कहा, “जरा सोचिए, जो खामोश रहकर भी किसी देश की फौज को ‘बोतल में बंद’ रख सकता है, वह अगर बोलेगा तो क्या नजारा होगा? इस बार पाकिस्तान को नौसेना की ताकत का सामना नहीं करना पड़ा, मगर अगर अगली बार कुछ हुआ, तो ओपनिंग हमारी नेवी के हाथों हो सकती है।”
उन्होंने भारतीय नौसेना को “साइलेंट सर्विस” बताते हुए कहा कि यह चुपचाप देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रही है।
आतंकवाद पर पाकिस्तान को दो टूक
रक्षा मंत्री ने पाकिस्तान को आतंकवाद के मुद्दे पर चेतावनी देते हुए कहा, “पाकिस्तान को समझना चाहिए कि आतंकवाद का खेल अब ज्यादा दिन नहीं चलने वाला। हर आतंकी हरकत का जवाब मिलेगा—और इस बार जवाब पहले से अधिक कठोर होगा।”
हाफिज सईद और मुंबई हमलों का जिक्र
राजनाथ सिंह ने मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का उल्लेख करते हुए कहा कि उसके संगठन ने समुद्री मार्ग से भारत में आतंक फैलाया और इसका न्याय होना अभी बाकी है। उन्होंने कहा, “यह न्याय पाकिस्तान में नहीं हो सकता, इसलिए भारत ने तहव्वुर राणा को लाकर एक कदम बढ़ाया है।”
बातचीत तभी, जब मुद्दा गंभीर हो
पाकिस्तान की तरफ से बातचीत की पेशकश पर टिप्पणी करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “अगर पाकिस्तान वाकई बातचीत में गंभीर है, तो आतंकवादियों को भारत के हवाले करे—हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे अपराधियों को। भारत की नीति स्पष्ट है—बात होगी, तो आतंकवाद और पीओके पर।”
नेवी की ‘सुनामी शक्ति’ का उल्लेख
INS विक्रांत पर खड़े होकर राजनाथ सिंह ने नौसेना की ताकत की प्रशंसा करते हुए कहा, “हमारी नौसेना जितनी शांत दिखती है, उतनी ही जबरदस्त है। वह समंदर की तरह शांत भी है और सुनामी की तरह विनाशकारी बनने की क्षमता भी रखती है।”
नौसैनिकों का बढ़ाया मनोबल
रक्षा मंत्री का यह दौरा न केवल सैन्य दृष्टि से बल्कि भावनात्मक रूप से भी नौसेना के जवानों और अधिकारियों के लिए एक बड़ा संबल रहा। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में नौसेना की निर्णायक भूमिका के बाद, INS विक्रांत से यह संदेश साफ है कि भारत अब आतंक के खिलाफ अपनी नीति में कोई नरमी नहीं बरतेगा।