मुंबई। महाराष्ट्र में पिछले कुछ दिनों से हो रही मूसलधार बारिश राज्य के लोगों पर कहर बनकर टूटी है। इसके चलते पिछले दो दिनों में 129 लोगों को जान गंवानी पड़ी है। 24 घंटों में रायगढ़, रत्नागिरी एवं सतारा में हुई इन घटनाओं में कई लोग अब भी मलबे में दबे हैं। बाढ़ग्रस्त इलाकों में लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ के अलावा नौसेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है।
महाबलेश्वर में तीन दिनों में रिकार्ड की गई 1500 मिमी. बारिश
महाराष्ट्र के समुद्रतटीय कोंकण, रायगढ़ एवं पश्चिम महाराष्ट्र में पिछले तीन दिनों से मूसलधार बारिश हो रही है। इसी क्षेत्र में स्थित प्रसिद्ध पर्यटनस्थल महाबलेश्वर में पिछले तीन दिनों में 1500 मिमी. बारिश रिकार्ड की गई है। भारी बरसात के कारण रत्नागिरी जिले के चिपलूण शहर बड़ा हिस्सा गुरुवार को जलमग्न हुआ दिखा दे रहा था। शुक्रवार को चिपलूण में जलस्तर कम होने के बाद वहां हुए नुकसान की भयावहता दिखाई दी। कई इलाकों में पहाड़ों पर भूस्खलन होने से सौ से अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
चिपलूण के कोरोना सेंटर में आक्सीजन न मिलने से आठ मरीजों की गई जान
रायगढ़ के तलई गांव में 38 एवं पोलादपुर में 11 लोगों की भूस्खलन से मृत्यु की खबर है। सतारा जिले के मिरगांव में भूस्खलन से 12 लोगों मारे जाने एवं आंबेघर में एक दर्जन से ज्यादा लोगों के दबे होने की सूचना है। रत्नागिरी के खेड तालुका स्थित धामणंद बौद्धवाड़ी में भी भूस्खलन से 17 लोग मारे गए हैं। इन सभी स्थानों पर बचाव कार्य जारी है। मरनेवालों की संख्या बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। गुरुवार को बाढ़ में डूबे रहे चिपलूण शहर के एक कोरोना सेंटर में आक्सीजन न मिलने से भी आठ लोगों की जान जाने की खबर है। मुंबई के गोवंडी क्षेत्र में एक दोमंजिला घर गिर जाने से चार लोग मारे गए और सात घायल हो गए। घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
महाराष्ट्र में कई नदियां उफान पर
कोंकण के रत्नागिरी एवं रायगढ़ जिलों में जहां बरसात का पानी शुक्रवार को उतरता दिखाई दिया, वहीं पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर, सांगली एवं सातारा की नदियां उफनाती दिखाई दीं। कोल्हापुर की पंचगंगा एक दिन पहले से ही रौद्र रूप दिखा रही है। शुक्रवार को सांगली की कृष्णा नदी भी खतरे के निशान से ऊपर चली गई। इन नदियों का जलस्तर बढ़ने से शहरों में भी कई हिस्सों में जलभराव की स्थिति पैदा हो गई है।
तेज हवा, भारी बरसात के बीच बचाव दल का पहुंचना मुश्किल
पुणे-बेंगलुरु हाइवे पानी से डूबा दिखाई दे रहा है। इन इलाकों में राहत कार्य में लगी टीमें नागरिकों से छतों पर जाने का आग्रह कर रही हैं। ज्यादा जलभराव वाले इलाकों से लोगों को सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाया जा रहा है। महाराष्ट्र के वरिष्ठ मंत्री विजय वडेट्टीवार का कहना है कि इस समय कोंकण एवं पश्चिम महाराष्ट्र में चलाया जा रहा बचाव अभियान अपने आप में जटिल है। तेज हवा, भारी बरसात के बीच यहां बचाव दल का पहुंचना मुश्किल हो रहा है। एनडीआरएफ के डीजी सत्य प्रधान ने भी एक ट्वीट में कहा है कि उनकी टीमें लगातार बचाव कार्य में लगी हैं। अब तक बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में एनडीआरएफ की 18 टीमें उतारी जा चुकी हैं और आठ तैयार रखी गई हैं।
एनडीआरएफ एवं एसडीआरएफ के अलावा नौसेना ने भी संभाला मोर्चा
बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में नौसेना एवं वायुसेना ने भी मोर्चा संभाल रखा है। वायुसेना के चार हेलीकाप्टर चिपलूण एवं खेड में बचाव कार्य में लगे हैं। एक हेलीकाप्टर पुणे में तैयार रखा गया है। नौसेना का मुंबई स्थित पश्चिमी कमान अपनी सात बाढ़ राहत टीमों (एफआरटी) को राज्य प्रशासन की मदद के लिए उतार चुका है। नौसेना की ये बाढ़ राहत टीमें जेमिनी रबर बोट्स, लाउड हेलर, फर्स्ट एड किट्स, लाइफ जैकेट से लैस होती हैं। साथ ही इन टीमों में प्रशिक्षित गोताखोर भी होते हैं।
बाढ़ के हालात पर केंद्र भी राज्य सरकार के संपर्क में
महाराष्ट्र में बाढ़ के हालात पर केंद्र भी राज्य सरकार के संपर्क में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार शाम ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे से बात की थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने ठाकरे से शुक्रवार को बात की है। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार भी केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के संपर्क में हैं।