राहुल गांधी बोले- किसानों को MSP की गारंटी बजट पर बोझ नहीं, सत्ता में आए तो एमएसपी गारंटी के साथ कर्ज भी माफ

राहुल गांधी बोले- किसानों को MSP की गारंटी बजट पर बोझ नहीं, सत्ता में आए तो एमएसपी गारंटी के साथ कर्ज भी माफ

नई दिल्ली। ऐन लोकसभा चुनाव के पहले किसानों के आंदोलन को समर्थन देते हुए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा है कि एमएसपी की गारंटी देने से बजट का बोझ बढ़ने का झूठा प्रचार किया जा रहा है। पार्टी के अनुसार किसानों को एमएसपी की कानूनी गारंटी बजट पर बोझ नहीं डालेगी बल्कि इससे किसान जीडीपी के विकास का वाहक बनेंगे। कृषि में निवेश बढ़ाने का रास्ता खुलेगा और ग्रामीण भारत में बढ़ने वाली डिमांड का फायदा किसानों को होगा। सत्ता में आने पर एमएसपी की गारंटी देने के साथ ही कांग्रेस ने किसानों को कर्ज से मुक्ति दिलाने के लिए कर्ज माफ करने का वादा करने के इरादे भी साफ किए हैं।

कांग्रेस ने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का संकल्प लिया

केंद्र और किसानों के बीच चौथे दौर की वार्ता बेनतीजा रहने के परिप्रेक्ष्य में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक्स पर पोस्ट में कहा कि जब से कांग्रेस ने एमएसपी की कानूनी गारंटी देने का संकल्प लिया है, तब से मोदी के प्रचारतंत्र और मित्र मीडिया ने एमएसपी पर झूठ की झड़ी लगा दी है। यह झूठ प्रचारित किया जा रहा कि एमसपी की कानूनी गारंटी दे पाना भारत सरकार के बजट से संभव नहीं है। जबकि क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक सच यह है कि 2022-23 में किसान को एमएसपी देने में सरकार पर 21,000 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आता जो कुल बजट का मात्र 0.4 प्रतिशत है।

एमएसपी गारंटी लागू करने के लिए पार्टी प्रतिबद्ध

उन्होंने सवाल उठाया कि जिस देश में 14 लाख करोड़ रुपए के बैंक लोन माफ कर दिए गए हों, 1.8 लाख करोड़ कॉर्पोरेट टैक्स में छूट दी गई हो, वहां किसान पर थोड़ा सा खर्च भी इनकी आंखों को क्यों खटक रहा है? कांग्रेस के संचार महासचिव जयराम रमेश ने एक्स पोस्ट में कहा कि एमएसपी गारंटी लागू करने के लिए पार्टी प्रतिबद्ध है और साथ ही किसानों को न्याय का हक दिलाने के लिए हम कर्ज माफी समेत अन्य जरूरी कदम भी उठाएंगे।

सरकार और किसानों की वार्ता बेनतीजा

सरकार और किसानों की वार्ता बेनतीजा रहने पर उन्होंने कहा कि एक ओर किसानों को देशद्रोही, नक्सलवादी और खालिस्तानी कहने की पूरी छूट गोदी मीडिया को दी जा रही तो दूसरी ओर किसानों का पक्ष रखने वाले सोशल मीडिया हैंडल्स व अकाउंट्स सरकार द्वारा ब्लॉक करवाए जा रहे हैं। किसानों ने सरकार की इस चालाकी को समझ लिया है कि उसकी नीयत साफ नहीं और इसीलिए उनके एक और झूठे ऑफर को ठुकरा दिया है।

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