कोरोना वायरस लॉकडाउन पर राहुल गांधी- अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए गरीबों के हाथ में पैसा दें

- कांग्रेस लीडर राहुल गांधी ने कोरोना वायरस लॉकडाउन पर प्रेस कॉन्फ्रेंस की
- राहुल बोले कि लॉकडाउन को खोलने के तरीके पर प्लानिंग करनी होगी
- राहुल ने कहा कि अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए सरकार को गरीबों के हाथ में पैसा देना होगा
- राहुल ने कहा कि कोरोना से लड़ाई जिला स्तर पर पॉवर देकर जीती जा सकती है
नई दिल्ली
कोरोना वायरस लॉकडाउन को सरकार कैसे खोलेगी इसपर जल्द से जल्द विचार होना चाहिए और जिस तरह जोनों को बांटा गया है उसपर भी विचार होना चाहिए। यह कहना है कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी का। ऑनलाइन प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान उन्होंने यह भी कहा कि अगर कोरोना से लड़ाई को सिर्फ पीएमओ (प्रधानमंत्री कार्यालय) से लड़ेंगे तो हार जाएंगे। राहुल ने काम बंद होने से परेशान लोगों को पैसा देने पर भी जोर दिया।
राहुल ने कहा कि अर्थव्यवस्था के लिए लॉकडाउन को खोलने के तरीकों पर विचार करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जोन को ग्रीन, रेड या ऑरेंज घोषित करने का फैसला जिला स्तर पर छोड़ देना चाहिए।
गरीबों के हाथ में पैसा दे सरकार: राहुल
राहुल गांधी ने कहा कि फिलहाल देश में आपातकाल जैसे हालात हैं। गरीबों के हाथ में 7500 रुपये देना सही फैसला होगा। राहुल बोले, ‘हमें चीजों की डिमांड बनाए रखनी होगी, इसके लिए लोगों के हाथ में पैसा देना होगा। कुछ बड़ी कंपनियों को भी बचाकर रखना होगा क्योंकि ये सभी एक दूसरे से जुड़े हैं।’ राहुल ने कहा कि हमें छोटे और बड़े बिजनस दोनों का ध्यान रखना होगा क्योंकि दोनों आपस में जुड़े हैं। अगर आपको इंजन स्टार्ट करना है तो उसका सिर्फ एक भाग स्टार्ट नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि घरेलू अर्थव्यवस्था को जल्द खोलना होगा क्योंकि इसमें जितनी देर होगा उतना बुरा असर होगा।
राहुल गांधी ने कहा, ‘यह वक्त सरकार की आलोचना का नहीं है, हमें लॉकडाउन खोलने के तरीके पर विचार करना होगा। रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन पर भी भ्रम है।’ राहुल ने आगे कहा कि रेड, ग्रीन और ऑरेंज जोन को अभी केंद्र सरकार तय कर रही है जो गलत है। इसे राज्य और जिला स्तर पर तय करना चाहिए। हमारे मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि जो जोन रेड बताए गए हैं वे ग्रीन हैं और ऐसे ही जिन्हें ग्रीन कहा गया उनमें से कुछ रेड हैं।
कोरोना का कहर जुलाई के बाद भी संभव: राहुल
एम्स के डायरेक्टर ने गुरुवार को कहा था कि कोरोना वायरस जून या फिर जुलाई में अपना विकराल रूप धारण कर सकता है। इसपर जब सवाल किया गया तो राहुल ने कहा कि हो सकता है कि कोरोना उसके बाद यानी अगस्त में भी अपना असर दिखाए इसलिए टेस्टिंग को बढ़ाना होगा। राहुल ने आगे कहा कि प्रवासी मजदूरों को राज्य या केंद्र सरकार द्वारा रोका जाना गलत है। प्रवासी मजदूर अगर घर जाना चाहते हैं तो सरकार उन्हें जाने दे। बस टेस्टिंग करके उन्हें जाने दिया जाना चाहिए।
देखें: अर्थव्यवस्था पर नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ राहुल गांधी की चर्चा के हाईलाइट्सकांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने अर्थव्यवस्था पर नोबल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी के साथ चर्चा की। अभिजीत बनर्जी ने कहा कि ‘फिलहाल दो चिंताएं हैं, एक तो यह कि किस तरह से दिवालियापन को रोका जाए, जिसमें सरकार को कर्ज़माफी जैसा फैसला ले सकती है… दूसरा यह कि लोगों के हाथ में कैश आएगा तो अर्थव्यवस्था पटरी पर आ सकेगी।’ इससे पहले राहुल गांधी ने आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन से अर्थव्यवस्था पर चर्चा की थी।
लड़ाई को PMO तक रखेंगे, तो हार सकते हैं: राहुल
राहुल गांधी ने कहा कि कोरोना से लड़ाई को विकेंद्रीकरण करके जिला स्तर तक लेकर जाना होगा। अगर हम इस लड़ाई को PMO तक रखेंगे, तो हारने के चांस हैं। वह बोले, प्रधानमंत्री को मुख्यमंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को कलेक्टर्स पर भरोसा करना ही होगा। अगर हम इसे केंद्रीकृत करते हैं, तो दिक्कत होगी।’