क्या फायदा? हिंदू-हिंदुत्व पर घिरते रहे हैं राहुल गांधी और कांग्रेस नेता
- कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने जयपुर में महंगाई हटाओ रैली को संबोधित करते हुए कहा कि देश में हिंदुत्ववादियों का राज है, हिंदुओं का नहीं. उन्होंने कहा कि हिंदुत्ववादियों को बेदखल कर देश में हिंदुओं का राज लाना होगा.
New Delhi: कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने रविवार को जयपुर में महंगाई हटाओ रैली को संबोधित करते हुए कहा कि देश में हिंदुत्ववादियों का राज है, हिंदुओं का नहीं. उन्होंने कहा कि हिंदुत्ववादियों को बेदखल कर देश में हिंदुओं का राज लाना होगा. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि वह हिंदू हैं, लेकिन हिंदुत्ववादी नहीं. उन्होंने हिंदू और हिंदुत्व को लेकर काफी बोला और दोनों शब्दों, उनके मतलब और सिद्धांतों को अलग-अलग बताया. उन्होंने कहा कि यह देश हिंदुओं का है और उन्हें हिंदुत्ववादियों से देश की सत्ता वापस लेनी होगी. उन्होंने मंच से हिंदू और हिंदुत्व का मुद्दा छेड़ा और 8 मिनट तक हिंदू और हिंदुत्व की परिभाषा समझाई.
अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गांधी के एक बयान ने राजनीतिक पारा बढ़ा दिया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बेटे और वायनाड से लोकसभा सदस्य राहुल गांधी के इस भाषण के बाद देश के राजनीतिक जगत में बहस तेज हो गई है. वहीं सोशल मीडिया पर इस बयान को लेकर मीम्स बनाने वाले और ट्रोल्स की चांदी हो गई. हालांकि यह कोई पहला मौका नहीं है कि राहुल गांधी ने ऐसे बयान दिए हों. हिंदू और हिंदुत्व को लेकर बीते कई वर्षों से वह इस तरह के बयान देते रहे हैं. कई बार सवाल उठाते रहे फिर खुद को हिंदू, शिवभक्त, दत्तात्रेय गोत्र के जनेऊधारी ब्राह्मण वगैरह बताकर मंदिरों में जाने लगे. एक बार तो कैलास मानसरोवर की यात्रा भी करने गए. उनसे अलग कांग्रेस के और कई बड़े नेता भी हिंदू-हिंदुत्व को लेकर बयान देकर घिरते रहे हैं.
‘हिंदू’ पर हमलावर रहे कांग्रेस के कई बड़े-छोटे नेता
राहुल गांधी ने मंदिर जाने वालों को लड़कियां छेड़ने वाले से जोड़कर भी विवादित बयान दिया था. इसके बाद उन्होंने देश को लश्कर से ज्यादा खतरा हिंदू आतंकवाद को बताया था. उन्होंने एक अमेरिकी राजनयिक से चर्चा करते हुए यह कहा था कि भारत को जैश, लश्कर और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे खूंखार आतंकी संगठनों के बजाय हिंदूवादी संगठनों से खतरा है. दिग्विजय सिंह ने 26/11 मुंबई हमले को हिंदू आतंकवाद की साजिश बताया था. पाकिस्तान ने तब इसे खूब प्रचारित किया था. सुशील कुमार शिंदे, शशि थरूर और चिदंबरम तक सबने देश की बहुसंख्यक आबादी हिंदुओं की ब्रैंडिंग आतंकी की कर दी थी. कांग्रेस के छुटभैए नेता भी हिंदू, हिंदुत्व वगैरह को लेकर गैर जरूरी बयान देने लगे थे.
राम सेतु और राम मंदिर पर अपनाया विवादित रवैया
यूपीए की पहली सरकार के दौरान साल 2007 में कांग्रेस ने राम सेतु पर सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर कहा था कि राम, सीता, हनुमान और वाल्मीकि काल्पनिक किरदार हैं. उसमें लिखा कि रामसेतु का कोई धार्मिक महत्व नहीं है. इसे लेकर कांग्रेस आज भी हिंदू संगठनों के निशाने पर रहती है. तीन तलाक मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और वकील कपिल सिब्बल ने राम की तुलना इस्लामी कुरीति से की. उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से राम मंदिर की सुनवाई को लोकसभा चुनाव 2019 के बाद तक टालने की अपील की थी. उन्हें डर था कि बीजेपी को इसका चुनावी लाभ मिल सकता है.
हिंदू और भगवा आतंकवाद जैसा विवादित शब्द गढ़ा
सबसे पहले पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम ने 25 अगस्त 2010 को ये बयान दिया कि ‘मालेगांव ब्लास्ट में भगवा आतंकवाद का हाथ है.’ यानी भगवा आतंकवाद को भुनाकर कांग्रेस पार्टी अपनी सरकार चलाना चाहती थी. 20 जनवरी 2013 को कांग्रेस नेता सुशील शिंदे ने ये बयान दिया कि ‘BJP और RSS प्रशिक्षण शिविरों में हिंदू आतंकवाद को बढ़ावा दे रहे हैं.’ मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने 25 जुलाई 2013 को कहा था कि हिंदू संगठन का दावा करने वाला राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बम बनाने का प्रशिक्षण देता है. ये सिलसिला साल 2014 में होने वाले लोकसभा चुनाव को ठीक पहले बढ़ता चला गया था. इसके बाद 11 जुलाई 2018 को तो शशि थरूर ने भी ये बोल दिया कि 2019 लोकसभा में बीजेपी जीती तो देश हिंदू पाकिस्तान बन जाएगा. 2019 में ही बीजेपी पूर्ण बहुमत से दोबारा जीती और दो वर्ष से ज्यादा समय बीत चुका है. साल 2019 में लोकसभा चुनाव हारने के बाद दिग्विजय सिंह ने बोल दिया था कि ISI के लिए जासूसी करने वाले गैर मुस्लिम ज्यादा हैं. सलमान खुर्शीद की अयोध्या फैसले पर किताब में भी हिंदु संगठनों पर निशाना साधा गया और उसकी तुलना तालिबान और बोरो हराम से की गई.
कांग्रेस नेताओं के बेतुके बोल पर नहीं लिया संज्ञान
कांग्रेस के नेताओं ने देश को इशारे में हिंदू पाकिस्तान कह दिया, लेकिन राहुल गांधी ने ऐसे बयानों पर आज तक कोई संज्ञान नहीं लिया और न ही कोई प्रतिक्रिया दी. इसके मुकाबले इन दिनों पांच राज्यों में चुनाव से पहले राहुल गांधी अपने भाषण में हिंदू और हिन्दुत्ववादी का फर्क समझाने लगे हैं. साल 2017 में गुजरात चुनाव के दौरान सोमनाथ मंदिर दर्शन के दौरान विवाद के बाद उन्होंने खुद को ज्यादा हिंदू साबित करने की पूरजोर कोशिश शुरू की थी. मध्य प्रदेश चुनाव में कमलनाथ ने भगवा पहना और लगातार मंदिरों में गए. उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव को लेकर प्रियंका गांधी भी लगातार मंदिरों में दर्शन करने पहुंच रही हैं. माथे पर तिलक, गले में माला, लाल रंग की चुन्नी ओढ़कर उन्होंने भी मंत्र पढ़ना शुरू कर दिया है.