रायबरेली-अमेठी में कांग्रेस की जीत के लिए प्रियंका ने बनाई खास रणनीति, इन दो पूर्व CM को भी सौंपी जिम्मेदारी

नई दिल्ली। रायबरेली और अमेठी लोकसभा सीटों के चुनाव में भाजपा के हर दांव को विफल करने के लिए कांग्रेस कमर कसते हुए मैदान में उतर गई है। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का अपने 40 से अधिक प्रचारकों की टोली के साथ सोमवार को रायबरेली पहुंचना इसका पुख्ता सबूत है। इतना ही नहीं गांधी परिवार की इन दोनों परंपरागत सीटों के चुनाव का प्रबंधन और निगरानी करने के लिए कांग्रेस हाईकमान ने अपने दो पूर्व मुख्यमंत्रियों को यहां तैनात करने का फैसला किया है।
भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को जिम्मेदारी
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राहुल गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली का वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया गया है तो राजस्थान के पूर्व सीएम अशोक गहलोत को अमेठी में पार्टी के चुनाव प्रबंधन का जिम्मा सौंपा गया है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने पार्टी के दो सबसे वरिष्ठ नेताओं गहलोत और बघेल को अमेठी व रायबरेली का वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त कर साफ संदेश दे दिया है कि राहुल गांधी के देशव्यापी प्रचार अभियान में व्यस्त रहने के बावजूद गांधी परिवार की इन दोनों सीटों के चुनाव प्रचार में किसी तरह की गुंजाइश नहीं छोड़ी जाएगी।
प्रियंका गांधी के प्रचार के लिए तैयारी
प्रियंका गांधी ने सोमवार को रायबरेली पहुंचकर पार्टी के जिला और स्थानीय कार्यकर्ताओं से प्रचार रणनीति पर मंत्रणा शुरू भी कर दी। कांग्रेस के चुनाव प्रचार अभियान के दौरान देश भर से पार्टी उम्मीदवार ही नहीं आइएनडीआइए के कुछ सहयोगी दलों की ओर से भी प्रियंका गांधी के प्रचार के लिए आने की मांग की जा रही है। इसकी वजह उनकी संयम, शालीन और भावपूर्ण होते हुए भी तीखे प्रहार वाली भाषण शैली को बताया जा रहा है।
रायबरेली में राहुल गांधी का चुनाव अभियान
इसीलिए असम से लेकर तेलंगाना और गुजरात से लेकर कर्नाटक तक जैसे तमाम राज्यों में कांग्रेस ने प्रियंका की चुनावी रैलियां और रोड शो कराई हैं और लगभग हर दिन उनके किसी न किसी राज्य के चुनावी दौरे हो रहे थे। अब रायबरेली में राहुल गांधी के चुनाव अभियान का संचालन करने के लिए डेरा डालने से साफ है कि अगले कुछ दिनों तक प्रियंका राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के प्रचार अभियान के लिए समय नहीं निकाल पाएंगी।
अमेठी का चुनाव प्रतिष्ठा से भी जुड़ा
रायबरेली के साथ ही प्रियंका को अमेठी में भी समय देना है क्योंकि चार दशक से परिवार के करीबी किशोरीलाल शर्मा यहां से मैदान में उतरकर केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को चुनौती दे रहे हैं। गांधी परिवार सीधे चाहे मैदान में न हो मगर अमेठी का चुनाव उसके लिए प्रतिष्ठा से भी जुड़ा हुआ है और ऐसे में शर्मा की चुनावी फतह के लिए प्रियंका यहां भी वाजिब समय देंगी यह तय है।