किसान महापंचायत के बहाने प्रियंका गांधी ने जांची संगठन की ताकत
- सहारनपुर मे कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा को काष्ठकला से निर्मित हल भेंट करते एआईसीसी मेम्बर जावेद साबरी।
सहारनपुर [24CN] । कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा अपने सहारनपुर दौरे के दौरान एक ओर जहां किसान महापंचायत के बहाने संगठन की टोह लेने में कामयाब रही। वहीं कई दशक से उत्तर प्रदेश में सत्ता से बाहर होने के कारण निरउत्साह कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार करने में कामयाब रही। सहारनपुर दौरे के दौरान मां शाकुम्भरी दर्शन करने के साथ ही विश्व प्रसिद्ध खानकाह में दुआ कराना भी प्रियंका गांधी की हिन्दू व मुस्लिमों को साधने की कवायद मानी जा रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव व उत्तर प्रदेश की प्रभारी बनने के बाद प्रियंका गांधी ने अपना सारा ध्यान संगठन पर केन्द्रीत करते हुए संगठन को बूथस्तर तक मजबूत बनाने के लिए संगठन सर्जन अभियान शुरू किया गया था जिसमें बाकायदा महानगर व जिला स्तर से लेकर प्रदेश स्तर तक युवाओं को प्राथमिकता दी गयी ताकि अधिक से अधिक युवाओं को पार्टी से जोड़कर उनकी ऊर्जा व प्रतिभा का लाभ उठाकर कांग्रेस के उत्तर प्रदेश में चले आ रहे वनवास को समाप्त किया जा सके।
प्रदेश सचिव व जनपद प्रभारी मोनिंदर सूद वाल्मीकि ने बूथ स्तर तक मजबूती के संगठन सृजन अभियान चलाकर बूथ कमेटियों का गठन कराया है। चिलकाना में आयोजित किसान महापंचायत को प्रियंका गांधी की इसी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है। प्रियंका गांधी द्वारा जिस तरह से उत्तर प्रदेश की नम्बर 1 लोकसभा सीट सहारनपुर व विधानसभा सीट बेहट में स्थित सिद्ध मां शाकुम्भरी देवी मंदिर में 45 मिनट तक पूजा अर्चना की गयी व जौलीग्रांट हवाई पटटी पर उनके हाथों रूद्राक्ष की माला भी होना उनके शुभ हिन्दुत्व के रूख वही विश्व प्रसिद्ध खानकाह रहीमिया में जाकर दुआ कराना उनका पार्टी के साथ जुड़े मुस्लिम मतदाताओ को भी साधे रखने की मुहिम माना जा रहा है। प्रियंका गांधी वाड्रा ने चिलकाना महापंचायत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के गन्ना बैल्ट होने के कारण जिस सधे अंदाज में किसानों की समस्याओं को उजागर किया उससे उनमें कहीं न कहीं उनकी दादी व पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी की छवि दिखायी पड़ी तथा जनपद के कांग्रेस जनों ने माहौल को भांपते हुए प्रियंका गांधी वाड्रा को बडा हल स्मृति चिन्ह के रूप में दिया।
वहीं जनपदीय संगठन की ओर से एआईसीसी मेम्बर व पूर्व जिलाध्यक्ष जावेद साबरी द्वारा भी उन्हें स्मृति चिन्ह के रुप में हल भेंट किया गया जिससे किसानों के साथ अपनी आत्मीयता प्रदर्शित की जा सके। जिस तरह महापंचायत के मंच पर ब्राह्मण समाज के लोगों का कब्जा रहा उसे भी कांग्रेस की रूठ कर भाजपा की ओर ब्राह्मण मतों को वापस लाने की रणनीति मानी जा रही है।
सहारनपुर दौरे के दौरान प्रियंका गांधी वाड्रा ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री स्व. काजी रशीद मसूद के आवास पर जाकर उनकी पत्नी से मुलाकात करके उनके परिजनों के साथ आत्मियता दर्शायी गयी। इसी कड़ी में शहीद निशांत शर्मा के घर जाकर उनकी पत्नि को पर्सनल मोबाइल नं. भी प्रियंका गांधी की आम आदमी से स्वयं को जोडऩे की रणनीति मानी जा रही है। प्रियंका गांधी द्वारा शाकुम्भरी देवी मंदिर में जिलाध्यक्ष मुजफ्फर अली गुर्जर को फोन पर साथ न रहने की नाराजगी जताते हुए स्वयं बुलाकर अपने साथ गाडी में बैठाकर ले गयी, उससे भी कांग्रेस कार्यकर्ताओं की वीआईपी कल्चर के समाप्त होने का संदेश पहुंचाने में सफलता मिली तथा दिल्ली पहुंचकर जिस तरीके से प्रियंका गांधी से कद्दावर नेता इमरान मसूद व जिलाध्यक्ष मुजफ्फर अली गुज्जर को स्वयं फोन कर महापंचायत की सफलता पर बधाई दी, उससे जनपद के कार्यकर्ता फूले नहीं समा रहे हैं। जबकि कद्दावर नेता इमरान मसूद व दोनों विधायकों ने जिस तरीके से ऐड़ी से चोटी तक का जोर लगाकर महापंचायत को कामयाब बनाया।
वहीं कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अजय कुमार लल्लू समेत प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों द्वारा की गयी मॉनिटरिंग का भी कम योगदान नहीें है। इसी कड़ी में शहर से राजनीतिज्ञ बने इमरान प्रताप गढी का क्रेेज भी लोगों में दिखाई पड़ा। कुल मिलाकर प्रियंका गांधी वाड्रा अपने सहारनपुर दौरे के दौरान अपने मकसद में कामयाब रही। अब देखना यह है कि प्रियंका गांधी का सहारनपुर दौरान आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव और विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए कितनी संजीवनी साबित होगा।