जन्म जयंती पर तिरंगा यात्रा के साथ याद किए गए पृथ्वीराज चौहान

पाकिस्तान पर सटीक सैन्य निशानों ने अर्जुन, एकलव्य व पृथ्वीराज चौहान की याद दिलाई: पद्मश्री स्वामी भारत भूषण
सहारनपुर। पहलगाम आतंकी हमले के बाद सिर्फ चार दिन में पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों और सैन्य प्रतिष्ठानों को अपने शौर्य और सटीक निशानेबाजी से तबाह करके विश्व को चैंकाने वाली भारतीय सेना की सफलता का आधार उसका सही गणित, ज्ञान और एकाग्र अभ्यास की साधना है जिसका अनूठा उदाहरण महाराजा पृथ्वीराज चौहान हैं।
आज महाराजा पृथ्वीराज चौहान की जन्मजयंती पर उन्हें याद करते हुए योगगुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने अर्जुन, एकलव्य और पृथ्वीराज चौहान को याद करते हुए मोक्षायतन साधकों और नेशन बिल्डर्स एकेडमी के बच्चों के सामने प्रसंग दोहराया कि जब मोहम्मद गोरी ने दिल्ली पर सतरह बार चढ़ाई की थी जिनमें पृथ्वीराज चैहान से हार का सामना करना पड़ा परंतु अंतिम बार पृथ्वीराज चौहान को हराकर बंदी बना लिया और और उनकी आंखें फोड़ दी थी।
योग गुरू ने बताया कि पृथ्वीराज चौहान शब्द भेदी बाण चलाना जानते थे। पृथ्वीराज चौहान की इस कला को पहचानने के लिए एक इसलिए अपने दरबार में एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया था जिसमें एक बहुत ऊंचे आसान पर गोरी बैठा था। काफी दूर पृथ्वीराज चौहान को खड़ा किया गया और धनुष बाण दिए गए। सैनिक के घण्टे की आवाज पर शब्द भेदी बाण मारना था, प्रदर्शन शुरू होते ही कवि चंद्र बरदाई ने चैहान को दोहे में संकेत दिया कि- चार बांस चौबीस गज, अंगुल अष्ट प्रमान। ता ऊपर सुल्तान है, मत चुके चैहान। इससे अंधे चौहान को सुलतान के बैठने की जगह का पता चल गया। जैसे ही सुल्तान ने प्रदर्शन शुरू करने की आज्ञा दी, उसी आवाज पर चौहान ने धनुष से बाण छोड़ा जो सीधे सुल्तान के गले में जा लगा जिससे वह वहीं तत्काल मर गया। इसके पहले कि सैनिक कुछ समझ पाए कि चन्द्र बरदायी और पृथ्वीराज चौहान ने तलवार से एक दूसरे का गला काट कर आत्मोत्सर्ग कर दिया था। संबोधन के बाद निकली तिरंगा यात्रा में देश की शान अपनी फौज अपने जवान नारों ने दिलों को गहराई तक छू लिया।