गर्भवती और धात्री माताएं अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखें – श्रीमती श्रद्धा लोकेश

गर्भवती और धात्री माताएं अपने खान-पान पर विशेष ध्यान रखें – श्रीमती श्रद्धा लोकेश
  • मण्डलायुक्त की धर्मपत्नी ने गर्भवती माताआंे की कि गोदभराई तथा 4 बच्चों का अन्नप्राशन

सहारनपुर [24CN]। मण्डलायुक्त श्री लोकेश एम0 की धर्मपत्नी श्रीमती श्रद्धा लोकेश ने गर्भवती माताओं, धात्री माताओं एवं  किशोरी बालिकाओं का आह्वान किया कि वे अपने खानपान का विशेष ध्यान रखें। उन्होंने कहा कि दिन में कम से कम दो घंटा जरूर आराम करें । हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करें समय-समय पर अपने रक्त का परीक्षण कराते रहें ताकि यह पता चले कि शरीर में हीमोग्लोबिन की मात्रा कितनी है। उन्होंने कहा कि सामान्य महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम से ऊपर होनी चाहिए यदि इससे कम है तो खान-पान पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है।

श्रीमती श्रद्धा लोकेश आज रामपुर मनिहारान में गर्भवती और धात्री माताओं, किशोर बालिकाओं तथा आईसीडीए विभाग के लाभार्थियों से रू-ब-रू होते हुए यह बात कही। उन्होंने आयोजित कार्यक्रम में आधा दर्जन से अधिक गर्भवती माताओं की गोद भराई की गई। कार्यक्रम में 4 बच्चो का अन्नप्राशन किया गया तथा 12 किशोरियों को आयरन की गोली भी बांटी गई। जिन गर्भवती और धात्री माताओं की गोदभारई कराई गई उनमें गर्भवती माता श्रीमती सविता, श्रीमती फरहाना, श्रीमती रुखसाना, श्रीमती सरला, श्रीमती कविता तथा श्रीमती पूजा प्रमुख रही। उन्होंने कहा कि गर्भकाल में आप अतिरिक्त आहार लेते रहे। पचरंगा और सप्तरंगा भोजन  व्यवहार में शामिल करें क्योंकि आपके स्वास्थ्य के आधार पर ही बच्चे की विकास की प्रक्रिया सुनिश्चित की जाती है। यदि अब आप अपना ध्यान नहीं रखेंगे तो बच्चा भी कुपोषण का शिकार हो सकती है। उन्होंने कहा कि गर्भकाल में ही अपने बच्चों की उचित देखभाल के बारे में ध्यान दें। प्रतिदिन पूरे दिन में नारियल का पानी जरूर पिए इससे बच्चे की ग्रोथ अच्छी होती है और उसके अंदर प्रतिरोधक क्षमता का विकास होता है।

मण्डलायुक्त की धर्मपत्नी ने धात्री माताओं सलाह दी की माता का दूध ही बच्चे का प्रथम टीकाकरण है।  वह अमृत के समान है, इसलिए जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर ही बच्चे को मां का दूध पिलाया जाना चाहिए। और छह महीने तक पूर्णरूपेण माता का ही दूध बच्चे को देना चाहिए। क्योंकि संक्रमित रोगों से इससे बचाव होता है और बच्चा बीमार नहीं पड़ता और कुपोषण का शिकार नहीं होता है। किशोरी बालिकाओं को सलाह दी गई कि आप पढ़ाई अपनी जारी रखें और स्कूल ना छोड़े 11 साल से 14 साल तक की 12 किशोरियों को आयरन की टेबलेट मैडम द्वारा वितरित की गई। उन्हांेने किशोरियों को व्यवसायिक शिक्षा से जोड़ने के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी को निर्देशित किया।

श्रीमती श्रद्धा लोकेश ने यह भी कहा कि जो बच्चे 6 महीना पूरा कर चुके हैं उनको अतिरिक्त पोषाहार की आवश्यकता होती है। अतिरिक्त ध्यान औरपोषण की आवश्यकता होती है। ऐसे बच्चे को 6 माह के बाद अन्नप्राशन कार्यक्रम कराया जाए। इस अवसर पर उन्होंने लाभार्थियों को नवीन पोषाहार प्रणाली से जिन्हें पोषण ट्रैकर के माध्यम से आच्छादित किया जा रहा है। उन्होंने बच्चों को राशन का वितरण भी किया गया। उन्होंने बाल विकास परियोजना के प्रांगण में वृक्षारोपण भी करने के साथ ही पोषण वाटिका का अवलोकन किया गया। उन्होंने सभी लाभार्थियों से कहा कि पोषण वाटिका अपने घर के पास लगाएं और उससे हरी ताजा सब्जियां अपने बच्चों को खिलाएं । उन्होंने इस अवसर पर स्टॉल का निरीक्षण एवं बाल विकास परिसर में वृक्षारोपण भी किया।

इस अवसर पर जिला कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती आशा त्रिपाठी, बाल विकास परियोजना अधिकारी श्रीमती कुसुम लता सहित बाल विकास विभाग के सभी कर्मी और बड़ी संख्या में लाभार्थी मौजूद रहें।