पटना: बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने शुक्रवार को राजनीतिक रणनीतिकार और जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर का मजाक उड़ाते हुए कहा कि वह मानसिक रूप से कमजोर हैं और उन्हें इलाज की जरूरत है।
बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) की परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर प्रदर्शन करने वाले प्रशांत किशोर की आलोचना करते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने उनके अनशन को जनता का ध्यान खींचने के लिए नाटक बताया है।
प्रशांत किशोर को मानसिक जांच की जरूरत
स्वास्थ्य मंत्री पांडे ने कहा कि बिहार के स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर मैं बड़ी जिम्मेदारी के साथ कह रहा हूं कि प्रशांत किशोर को मानसिक जांच की जरूरत है। कोइलवर में हमारे पास एक अच्छा मानसिक अस्पताल है। उन्हें वहां आना चाहिए और मैं उन्हें अस्पताल ले जाऊंगा।स्वास्थ्य मंत्री ने आगे भी प्रशांत किशोर पर हमला बोलते हुए कहा कि किशोर भले ही “नारेबाज” हों, लेकिन उनमें नेतृत्व के गुण नहीं हैं।
गुरुवार को समाप्त किया था अनशन
जन सुराज संस्थापक प्रशांत किशोर ने गुरुवार को प्रतीकात्मक रूप से केला खाकर अपना अनशन समाप्त किया था। अनशन समाप्त करने के बावजूद किशोर ने आगे के आंदोलन की योजना की घोषणा की। जिसमें पटना के एलसीटी घाट पर टेंट सिटी स्थापित करना भी शामिल है। जिला प्रशासन ने शुरू में निर्माण पर रोक लगाई, लेकिन बाद में एक अस्थायी शिविर के लिए अनुमति दे दी है। अंत में एक टेंट सिटी बनाई गई।प्रशांत किशोर ने कथित अनियमितताओं को लेकर बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर आमरण अनशन किया था। गांधी मैदान के प्रतिबंधित क्षेत्र में विरोध करने के लिए गिरफ्तार किए गए जन सुराज संस्थापक को 7 जनवरी को जमानत पर रिहा कर दिया गया और पूरे घटनाक्रम ने महत्वपूर्ण ध्यान आकर्षित किया।
सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों दलों के सदस्यों सहित राजनीतिक विरोधियों ने प्रशांत किशोर की आलोचना की है। उनके कार्यों को प्रचार स्टंट बताया गया है।
पूर्णिया के सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने पटना उच्च न्यायालय में तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर करके बीपीएससी परीक्षाओं में कथित अनियमितताओं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है।
गौरतलब है कि पिछले साल 13 दिसंबर को राज्य भर के 912 केंद्रों पर आयोजित बीपीएससी परीक्षा में पटना के कुम्हरार में बापू केंद्र में अनियमितताओं के बाद कदाचार के आरोप लगे थे।
जवाब में, बीपीएससी ने उक्त केंद्र के लिए परीक्षा रद्द कर दी थी और 4 जनवरी को फिर से परीक्षा आयोजित की थी। हालांकि, आंदोलनकारी अभ्यर्थी प्रणालीगत खामियों का आरोप लगाते हुए सभी केंद्रों पर परीक्षा रद्द करने की मांग कर रहे हैं।