नूंह हिंसा मामले में पुलिस की धरपकड़ जारी, एनकाउंटर में आरोपी के पैर में लगी गोली; गिरफ्तार

यह मुठभेड़ जिले के टौरू इलाके में हुई। आरोपी वाशिम पर 25000 रुपये का इनाम था और उसके खिलाफ लूटपाट और हत्या से संबंधित कई मामले दर्ज थे। हिंसा मामले में अभी तक पुलिस द्वारा करीब 260 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। नूंह में 31 जुलाई को हुई हिंसा में छह लोगों की मौत हो गई थी।
नूंह। हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को हुई हिंसा के बाद प्रशासन लगातार एक्शन में है। हिंसा मामले में अभी तक पुलिस द्वारा करीब 260 आरोपितों को गिरफ्तार किया गया है। ताजा मामले में मंगलवार को पुलिस एनकाउंटर में एक आरोपी को गोली लगने के बाद गिरफ्तार किया गया है।
जानकारी के मुताबिक, यह मुठभेड़ जिले के टौरू इलाके में हुई। आरोपी वाशिम पर 25,000 रुपये का इनाम था और उसके खिलाफ लूटपाट और हत्या से संबंधित कई मामले दर्ज थे। वाशिम को टौरू में अरावली से गिरफ्तार किया गया था। उसे इलाज के लिए नल्हड़ मेडिकल अस्पताल में भर्ती कराया गया है। उल्लेखनीय है कि नूंह और गुरुग्राम में हुई सांप्रदायिक झड़पों में छह लोग मारे गए थे।
दुकानदारों ने की नुकसान के भरपाई की मांग
नूंह हिंसा के बाद प्रशासन द्वारा नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के पास की गई दुकानों को तोड़ने की कार्रवाई को दुकानदारों ने गैर कानूनी बताते हुए उपायुक्त को शिकायत की है। शिकायत में उपायुक्त से नुकसान की भरपाई की मांग भी की गई है।
फिरोजपुर के रहने वाले हथीन के रहने वाले , हरकेश तथा डॉ. देवकांत ने उपायुक्त को दी शिकायत में बताया कि हम सभी ने नल्हड़ मेडिकल कॉलेज के पास मेडिकल व जांच सहित अन्य दुकानें की हुई थी। जिसके लिए हमने किराए पर दुकानों के मालिकों से दुकानें ली हुई थी और तय किराया प्रति माह दिया जा रहा था।
बिजली मीटर सभी ने अपने नाम से लिया था उस वक्त जो जरूरी दस्तावेज मांगे गए वह दे दिए गए थे। चार साल से वह किराये पर दुकान लेकर अपना कारोबार कर रहे हैं। एक बार भी नोटिस नहीं आया कि दुकान अवैध तरीके से बनी हैं। जबकि जगह की रजिस्ट्री भी मकान मालिक के पास है। सभी दुकान मुस्लिमों की पर किराये पर हम लोगों ने ले रखी थी।
31 जुलाई को नूंह में हुई हिंसा के बाद जिला नगर योजनाकार द्वारा हमारे दुकानें बिना किसी नोटिस के तोड़ दी गईं। जो कि बिल्कुल गैर कानूनी है। हमें कार्रवाई से पहले किसी प्रकार का नोटिस भी नहीं दिया गया। दुकानों के टूट जाने से अब हम बेरोजगार हो गए हैं और परिवार का गुजारा भी नहीं कर पा रहे हैं। दुकानों के सहारे ही हम अपने परिवार का पालन पोषण करते थे, लेकिन दुकानों के टूट जाने से हमार काफी नुकसान हो गया है।