महाकुंभ पर बोले कवि कुमार विश्वास- ‘कुंभ विश्वभर की सबसे जागृत आत्माओं का एकत्रीकरण है’
प्रश्न: काव्य पाठ के बाद अब आपका रुझान श्री राम कथा की ओर बढ़ा है। कोई खास कारण ?
उत्तर: नहीं, ऐसा नहीं है। कवि सम्मेलन भी साथ-साथ चल रहा है। अभी कल और परसों ही कवि सम्मलेन कर के आया हूं, लेकिन अब जैसे-जैसे समाज में अवसाद बढ़ेगा, उद्वेग बढ़ेगा, अकेलापन बढ़ेगा। वैसे-वैसे आध्यात्म को जानने की आवश्यकता पड़ेगी। मैं कोई कहानी या कथा तो सुनाता नहीं हूं, सिर्फ राम कथा के माध्यम से जीवन में बदलाव लाने का प्रयास है।
प्रश्न: पहले कविताओं से मशहूर हुए, फिर राजनीति ने नई पहचान दी, अब श्री राम कथा सुनने को लोग उत्सुक हैं, आपकी रचनात्मकता का अगला स्टार्टअप क्या होगा?
उत्तर: नहीं कोई स्टार्टअप नहीं है। कल को मुझे कुछ और अच्छा लगेगा मैं वह करना शुरू कर दूंगा। अब जनता क्या स्वीकार कर रही है, क्या नहीं इससे भी परे हूं।
प्रश्न: प्रयाग में दो दिन बाद प्रयागराज में श्री राम कथा कहेंगे, क्या कुंभ में कल्पवास की भी तैयारी है?
प्रश्न: आगरा से विशेष लगाव रहता है, पिछली सर्दियों में आए थे संजय प्लेस में पानी-पूरी का स्वाद लिया और युवाओं से संवाद हुआ था। इस बार दो दिनों के लिए आगरा आए हैं, फिर युवाओं से संवाद होगा?
उत्तर: मेरी पहली नौकरी भरतपुर में लगी थी, तो वहां से आगरा ही घरेलू चीजें खरीदने आना पड़ता था। तब सेंट जान्स के पास पांच पानी वाले बताशों का स्वाद लेता था। उस वक्त सोम ठाकुर, पूरन चौहान होते थे, अब रमेश मुस्कान हैं। पुरानी जगह आओ तो मन करना है लोगों से मिलें, अलग-अलग पकवान का स्वाद लें।