‘पीएम मोदी का लक्ष्य आतंकवाद को खत्म करना, युद्ध नहीं’, CM नायब सैनी का बयान

नई दिल्ली (विशेष संवाददाता)। भारत और पाकिस्तान के बीच कई दिनों तक चले सैन्य तनाव के बाद दोनों देशों ने नियंत्रण रेखा (एलओसी) और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर सीजफायर समझौते पर सहमति बनी। इसके साथ ही सीमा क्षेत्रों में शांति की स्थिति बहाल होने की उम्मीद जताई जा रही है। वहीं, देश के विभिन्न राजनीतिक दलों और नेताओं ने पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय सेना की निर्णायक कार्रवाई का समर्थन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा की है। इस कड़ी में हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने भी पीएम मोदी की आतंकवाद-विरोधी नीति को “साहसिक और दूरदर्शी” बताया।
सीएम सैनी का बयान: “मोदी का लक्ष्य युद्ध नहीं, आतंकवाद का अंत”
गुरुवार को विश्व शांति केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी का मकसद युद्ध नहीं, बल्कि आतंकवाद का समूल नाश करना है। भारत ने दुनिया को दिखाया है कि हम शक्ति के साथ-साथ शांति के पक्षधर हैं।” उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि देश की सुरक्षा में बलिदान देने वाले जवानों का सम्मान हर भारतीय के दिल में है।
कैसे हुई सीजफायर की सहमति?
यह तनाव तब शुरू हुआ जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तानी आतंकियों ने 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या कर दी। इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान-अधिकृत कश्मीर (PoK) सहित विभिन्न आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की। पाकिस्तान ने मिसाइल, ड्रोन और फाइटर जेट से जवाबी हमले किए, लेकिन भारतीय वायुसेना और एयर डिफेंस सिस्टम ने हर प्रयास को नाकाम कर दिया। भारत ने पाकिस्तान के 11 एयरबेस, रडार स्टेशन और कमांड सेंटर को निशाना बनाकर उन्हें क्षतिग्रस्त कर दिया। सैन्य दबाव के बीच पाकिस्तान ने शांति वार्ता का प्रस्ताव रखा और 10 मई को दोनों देशों के बीच सीजफायर लागू हुआ।
राजनीतिक समर्थन और राष्ट्रीय एकता
इस संघर्ष के दौरान देशभर के नेताओं ने सरकार और सेना के साथ एकजुटता दिखाई। विपक्षी दलों ने भी राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर मोदी सरकार का समर्थन किया। विश्लेषकों का मानना है कि यह सीजफायर भारत की रणनीतिक दृढ़ता का परिणाम है, जिसने पाकिस्तान को कूटनीतिक मेज पर लाने में मजबूर किया।
आगे की चुनौतियां
हालांकि, सुरक्षा विशेषज्ञ चेतावनी देते हैं कि पाकिस्तान द्वारा आतंकवाद को प्रश्रय देना जारी रहा तो भविष्य में ऐसे संकट फिर उभर सकते हैं। सेना ने सीमा पर सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं, वहीं सरकार ने कहा है कि “शांति वार्ता का दरवाजा खुला है, लेकिन आतंकवाद पर कोई समझौता नहीं होगा।”
निष्कर्ष: यह घटनाक्रम भारत की “शांति के साथ शक्ति” की नीति को रेखांकित करता है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी इस सीजफायर को क्षेत्रीय स्थिरता की दिशा में अहम कदम बताया है।