PM मोदी की दरियादिली, काशी के सफाईकर्मियों के लिए भेजे 100 जोड़ी जूट के जूते

- पीएम मोदी को इस बात की जानकारी मिली की काशी विश्वनाथ धाम में काम करने वाले ज्यादातर लोग नंगे पांव अपना कर्तव्य निभाते हैं क्योंकि मंदिर परिसर में चमड़े या रबर से बने जूते पहनना मना है.
वाराणसी: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने एक बार फिर से दिल जीतने वाला काम किया है. पीएम मोदी ने काशी में साफ-सफाई का काम करने वाले लोगों के लिए 100 जोड़ी जूट (100 Pair Footwear) के जूते भेजे हैं. दरअसल जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी काशी कॉरिडोर का उद्घाटन करने गए थे तब उन्हें पता चला कि काशी परिसर में लेदर के जूते पहनना वर्जित है, लेकिन उस दौरान वहां के सभी सफाई कर्मचारी नंगे पांव मंदिर की सेवा करते नजर आए थे. ऐसे में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संज्ञान में यह बात आने के बाद उन्होंने 100 जोड़ी जूट के जूते उन सभी सफाई कर्मचारियों के लिए भेजे हैं. प्रधानमंत्री से उपहार पाकर सभी सफाई कर्मचारी बेहद खुश हैं और उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हृदय से धन्यवाद दिया है. अब आगे से सभी सफाई कर्मचारी जूट के जूते पहनकर मंदिर परिसर में काम करेंगे.
वाराणसी में 339 करोड़ रुपये की पुनर्विकास परियोजना का उद्घाटन पीएम मोदी ने पिछले साल 13 दिसंबर को किया था. पीएम मोदी लोकसभा में वाराणसी का प्रतिनिधित्व करते हैं. पीएम मोदी को इस बात की जानकारी मिली की काशी विश्वनाथ धाम में काम करने वाले ज्यादातर लोग नंगे पांव अपना कर्तव्य निभाते हैं क्योंकि मंदिर परिसर में चमड़े या रबर से बने जूते पहनना मना है. इनमें पुजारी, सेवा करने वाले लोग, सुरक्षा गार्ड, सफाई कर्मचारी और अन्य शामिल हैं. उन्होंने तुरंत 100 जोड़ी जूट के जूते मंगवाए और काशी विश्वनाथ धाम में कार्यरत कर्मियों के लिए भेज दिए.
कड़ाके की ठंड से मिलेगी राहत
जूट के जूते मिलने के बाद इससे जुड़े लोगों ने कहा कि अपने कर्तव्यों का पालन करने वाले लोगों को अब कड़ाके की ठंड में नंगे पांव नहीं रहना पड़ेगा. इस भेंट के बाद इससे वाकिफ लोगों ने कहा कि काशी विश्वनाथ धाम में काम करने वाले लोग हावभाव से बेहद खुश हैं. प्रधानमंत्री इस परियोजना में गहरी दिलचस्पी ले रहे हैं, जिसने उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जहां इस साल फरवरी-मार्च में सात चरणों में चुनाव होंगे. पार्टी ने वाराणसी में पुनर्विकास परियोजना को विकास के मॉडल के रूप में प्रदर्शित करने के लिए अभियान चलाया है जिसे पूरे भारत में दोहराया जा सकता है.