PM मोदी आज करेंगे नालंदा विश्वविद्यालय के नए कैंपस का उद्घाटन, ये दिग्गज रहेंगे मौजूद
Patna: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 जून को बिहार के राजगीर में प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के पास ही नये नालंदा विश्वविद्यालय के कैंपस का उद्घाटन करेंगे. इस नई पहल के माध्यम से भारत का उद्देश्य बौद्ध धर्म मानने वाले देशों जैसे श्रीलंका, थाईलैंड, दक्षिण कोरिया, विएतनाम, लाओस, कंबोडिया में वही सद्भावना स्थापित करना है जो प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय के काल में थी. यह नया कैंपस भारत की शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रमुख केंद्र के तौर पर स्थापित होने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
21वीं सदी में नालंदा विश्वविद्यालय का महत्व
आपको बता दें कि भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार, नये नालंदा विश्वविद्यालय को 21वीं सदी में वही स्थान दिलाना है जो इसे 800 साल पहले हासिल था. नया कैंपस सरकार के इस इरादे को प्रदर्शित करता है कि वह इसे वैश्विक शिक्षा का केंद्र बनाना चाहती है. वर्ष 2010 में कानून बना कर नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी, लेकिन यह अभी तक अस्थाई कैंपस में संचालित हो रहा था. नए कैंपस का उद्घाटन इस दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है.
अंतरराष्ट्रीय समर्थन और सहभागिता
वहीं इस उद्घाटन समारोह में विदेश मंत्री एस जयशंकर और 17 देशों के राजदूतों के शामिल होने की संभावना है. ये देश नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना और संचालन में सहयोग देने के लिए समझौते के सदस्य हैं. बौद्ध धर्मावलंबी देशों के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया, बांग्लादेश, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल जैसे देश भी इसमें शामिल हैं. चीन भी इस परियोजना का हिस्सा है. नालंदा विश्वविद्यालय के नये स्वरूप में निर्मित लाइब्रेरी में तीन लाख से ज्यादा पुस्तकें हैं, जो इसे एक बार फिर से ज्ञान का एक प्रमुख केंद्र बनाएंगी.
चीन की प्रतिक्रिया और तिब्बत नीति
इसके साथ ही भारत की तिब्बत नीति में भी नया मोड़ देखने को मिल रहा है. अमेरिकी संसद के विदेशी मामलों की समिति के अध्यक्ष माइकल मैकोल के नेतृत्व में अमेरिकी सांसदों का एक बड़ा दल 19 जून को 14वें दलाई लामा से मुलाकात करेगा. इस यात्रा पर चीन ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिसे चीन ने अपने मामलों में सीधा हस्तक्षेप बताया है. चीन ने दलाई लामा को पृथक आंदोलन के मुखिया के रूप में करार दिया है और अमेरिकी राष्ट्रपति को तिब्बत रिजाल्व एक्ट (टीआरए) पर हस्ताक्षर न करने की सलाह दी है.
बौद्ध देशों के साथ संबंधों की अहमियत
आपको बता दें कि जानकारों का कहना है कि बौद्ध धर्म मानने वाले अधिकांश देशों के रिश्ते चीन के साथ बहुत मधुर नहीं हैं और इन देशों के साथ भारत के संबंधों की अहमियत अब और भी बढ़ गई है. अंतरराष्ट्रीय मंच पर तिब्बत का मुद्दा गरम हो रहा है और भारत इस पर सतर्कता से नजर रखे हुए है. अमेरिकी सांसदों का दौरा तिब्बत रिजाल्व एक्ट के पारित होने के आठवें दिन हो रहा है, जिसे चीन की तिब्बत नीति को खारिज करने के तौर पर देखा जा रहा है.