नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को कांग्रेस पर जमकर प्रहार किया। उन्होंने कहा, ‘देश के लोकतंत्र को सबसे बड़ा खतरा परिवारवादी पार्टियों से है। इनमें भी जब कोई एक परिवार ही सर्वोपरि हो जाता है तो पहला शिकार प्रतिभा (टैलेंट) होती है।’ सीधा निशाना तो कांग्रेस पर था, लेकिन परोक्ष रूप से प्रधानमंत्री ने समाजवादी पार्टी समेत उन सभी क्षेत्रीय दलों को कठघरे में खड़ा किया जिनमें से अधिकतर अभी विपक्ष में हैं।

कांग्रेस को देश की तरक्की में बाधा करार देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उसकी सोच शहरी नक्सल से प्रभावित हो गई है जो देश को नुकसान पहुंचा रहा है। एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री ने लोकसभा में राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस के राजनीतिक सोच सवाल खड़ा किया था। मंगलवार को राज्यसभा में उन्होंने उसे और धार दी। पीएम ने कहा, ‘कांग्रेस न होती तो लोकतंत्र परिवारवाद से मुक्त होता, देश भी विदेशी के चश्मे के बजाय स्वदेशी के संकल्पों के साथ आगे बढ़ता। कांग्रेस न होती तो आपातकाल का कलंक भी न लगता। जातिवाद की खाई इतनी गहरी न होती और सिखों का नरसंहार न होता। पंजाब न जलता। कश्मीरी पंडितों का पलायन भी न होता और बेटियों को तंदूर में जलाया न जाता।’ जाहिर तौर पर प्रधानमंत्री ने एक तीर से कई निशाने साधे। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस महिलाओं का कार्ड खेल रही है तो प्रधानमंत्री ने तंदूर कांड की याद दिला दी जिसमें एक कांग्रेसी नेता ने अपनी पत्नी को तंदूर में जला दिया था।

सत्ता में रही तो विकास नहीं होने दिया, विपक्ष में रहकर डाल रही बाधा

लोकसभा में तो विपक्षी नेताओं ने टोकाटाकी की थी, लेकिन राज्यसभा में कांग्रेस तीखे तंजों से इतनी आगबबूला हो गई कि नारेबाजी करते हुए वाकआउट कर दिया। कांग्रेस सदस्यों की अनुपस्थिति में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘कांग्रेस जब सत्ता में रही तब देश का विकास नहीं होने दिया और अब विपक्ष में है तो देश के विकास में बाधा डाल रही है। जिसे पिछले 50 साल में देश ने देखा भी है। रही बात लोकतंत्र की तो यह कांग्रेस की मेहरबानी से नहीं मिला है। देश ने कांग्रेस के परिवारवाद के सोच का अरसे तक नुकसान उठाया है। मैं चाहता हूं कि सभी राजनीतिक दल लोकतांत्रिक मूल्यों और आदर्शों को अपने यहां विकसित करें। खासकर कांग्रेस पर यह जिम्मेदारी ज्यादा है। कांग्रेस न होती तो क्या होता जैसे सोच से कांग्रेस को ऊपर उठना चाहिए।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि महात्मा गांधी ने चाहा था कि स्वतंत्रता के बाद कांग्रेस खत्म कर दी जाए। उन्होंने एक-एक कर गिनाया कि अगर कांग्रेस न रही होती तो क्या क्या भला हुआ होता।

राष्ट्र पर आपत्ति है तो पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस क्यों

राहुल को कठघरे में खड़ा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कांग्रेस को अब राष्ट्र पर भी आपत्ति है। यदि राष्ट्र की कल्पना गैर-संवैधानिक है तो आपकी पार्टी का नाम इंडियन नेशनल कांग्रेस क्यों रखा गया। नाम भी बदल दीजिए और फेडरेशन आफ कांग्रेस कर दीजिए। अपने पूर्वजों की गलती सुधार दीजिए।

कांग्रेस ने 100 बार निर्वाचित राज्य सरकारों को उखाड़ फेंका

प्रधानमंत्री ने विपक्ष के संघीय ढांचे को कमजोर करने के आरोप का जवाब दिया और कहा कि कांग्रेस सरकारों ने राज्यों का दमन किया। चुनी हुई राज्य सरकारों को करीब 100 बार उखाड़ फेंका। वह कौन प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने अपने समय में 50 सरकारों की उखाड़ फेंका था।’ प्रधानमंत्री ने इस दौरान कांग्रेसी सरकारों का शिकार बनीं राज्य सरकारों के नाम भी एक-एक गिनाए और कहा कि यह कांग्रेस के अहंकार को दर्शाता है। जबकि राजग सरकार में जीएसटी के अंदर सभी राज्य एकसाथ बैठकर टैक्स से जुड़े निर्णय ले रहे हैं। कोरोना काल में भी को-आपरेटिव फेडरलिज्म का बेहतर तालमेल दिखा। जिसमें कोरोना संकट के दौरान सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ इतनी बैठकें हुई, जितनी पिछले कई साल में नहीं हुई थीं। उन्होंने कहा कि कांग्रेस के सोच पर शहरी नक्सल ने कब्जा कर लिया है। इसलिए वह वही बोल रहे हैं जो शहरी नक्सली बोलते आ रहे हैं।

इतिहास बदल नहीं रहे, 1947 से पहले का इतिहास बताना चाहते हैं

प्रधानमंत्री ने कहा, हम इतिहास नहीं बदल रहे हैं बल्कि उन्हें 1947 से पहले के देश के इतिहास को बताना चाहते हैं। कुछ लोगों को इतिहास सिर्फ एक परिवार तक सीमित दिखता है। हम अमृत काल खंड में 1857 के आजादी के आंदोलन और वीर शिवाजी का इतिहास भी उन्हें बताना चाहते हैं।