‘भारतीयों का खून बहाने वालों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं’, आतंकवाद पर बोले पीएम मोदी

‘भारतीयों का खून बहाने वालों के लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं’, आतंकवाद पर बोले पीएम मोदी

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज नई दिल्ली के विज्ञान भवन (PM Modi Vigyan Bhawan) में आयोजित श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी के बीच 100 साल पहले हुई ऐतिहासिक बातचीत के शताब्दी समारोह का उद्घाटन किया। इस दौरान पीएम मोदी ने ऑपरेशन सिंदूर पर भी खुलकर बात की।

पीएम मोदी ने कहा कि 100 साल पहले दोनों की मुलाकात सामाजिक समरसता और विकसित भारत के लक्ष्यों के लिए आज भी ऊर्जा के बड़े स्रोत का काम करती है।

मैं उन्हें आज भी याद करता हूं: पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अनुसार, “श्री नारायण गुरु के आदर्श पूरी मानवता के लिए बहुत बड़ी पूंजी हैं। जो लोग देश और समाज की सेवा के संकल्प पर काम करते हैं। श्री नारायण गुरु उनके लिए प्रकाश का प्रतीक साबित हो सकते हैं। मैं आज भी जब समाज के शोषित और वंचित वर्ग के लिए कोई बड़ा फैसला लेता हूं तो श्री नारायण गुरु को जरूर याद करता हूं।”

केदारनाथ आपदा का किया जिक्र

पीएम मोदी ने कहा, “2013 में मैं गुजरात का मुख्यमंत्री था। तब केदारनाथ में प्राकृतिक आपदा आई थी। वहां शिवगिरी मठ के कई पूज्य संत और भक्तजन भी फंस गए। तब मठ ने भारत सरकार से संपर्क नहीं किया बल्कि मुझे आदेश दिया कि तुम सबको वापस लाओ। ईश्वर की कृपा से मैं सभी संतों और भक्तों को वहां से सुरक्षित वापस ला पाया था।”

ऑपरेशन सिंदूर पर बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा –

अभी कुछ दिन पहले ही दुनिया ने भारत का सामर्थ्य देखा है। हमने दुनिया को बता दिया कि खून बहाने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। उनके लिए कोई भी ठिकाना सुरक्षित नहीं है। हमारी सेना 22 मिनट में उन्हें घुटनों पर ले आई।

रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन रहा है भारत: पीएम मोदी

पीएम मोदी ने कहा, “भारत ने आतंकवाद के खिलाफ अपनी नीति स्पष्ट बता दी है। आज भारत वही कदम उठाता है, जो संभव और राष्ट्रहित में होता है। भारत रक्षा क्षेत्र में भी आत्मनिर्भर बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेना ने ‘मेड इन इंडिया’ हथियारों का इस्तेमाल किया है।”

श्री नारायण गुरु और महात्मा गांधी की मुलाकात

बता दें कि श्री नारायण गुरु को केरल के महान संतों, सुधारक और दार्शनिकों में गिना जाता है। उन्होंने एक ‘जाति, एक धर्म और एक ईश्वर’ का नारा दिया था। श्री नारायण गुरु जाति आधारित भेदभाव के सख्त खिलाफ थे। 12 मार्च 1925 को महात्मा गांधी तिरुवनंतपुरम स्थित शिवगिरी मठ पहुंचे, जहां पहली बार दोनों की मुलाकात हुई। इस दौरान दोनों ने छुआछूत खत्म करने और देश में सामाजित समरसता फैलाने पर सहमति व्य की थी।


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