चीन से तनाव के बीच ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में पीएम मोदी और शी शिनफिंग आज होंगे आमने-सामने

नई दिल्ली । पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत व चीन के सैनिक आमने सामने डटे हुए हैं। सैनिकों की वापसी को लेकर दोनों देशों के बीच होने वाली बातचीत की रफ्तार ढीली पड़ गई है। इस बीच सात दिनों बाद पीएम नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी शिनफिंग एक बार फिर आमने-सामने होंगे। मंगलवार को ब्रिक्स देशों की वर्चुअल शिखर बैठक है, जिसमें रूस, ब्राजील व दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपतियों के अलावा उक्त दोनो नेता भी हिस्सा लेंगे। इसके पहले 10 नवंबर को शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की वर्चुअल शिखर बैठक में भी मोदी और शिनफिंग उपस्थित थे और 21 व 22 नवंबर को समूह-20 की बैठक में भी दोनों वर्चुअल मंच साझा करेंगे। हालांकि इन नेताओं के बीच एलएसी पर चल रहे सैन्य तनाव के मद्देनजर किसी विमर्श की गुंजाइश नहीं है।
उल्लेखनीय तथ्य है कि ब्रिक्स की अगले वर्ष की शिखर बैठक भारत में ही होगी। अगर तब तक कोविड का असर खत्म हो गया तो अन्य देशों के राष्ट्रपतियों के साथ ही चीन के राष्ट्रपति के भारत आने की भी उम्मीद की जा सकती है। बतौर पीएम मोदी की अभी तक सबसे द्विपक्षीय मुलाकात शिनफिंग से ही हुई है। इनके बीच अंतिम मुलाकात नवंबर, 2019 में चेन्नई के ममल्लापुरम में हुई थी। मई, 2020 में चीनी सेना के भारतीय सीमा में घुसपैठ के बाद दोनो देशों के रिश्ते बेहद तनावग्रस्त हैं। इस बीच दोनों देशों के रक्षा व विदेश मंत्रियों की एक-एक बार द्विपक्षीय मुलाकात हुई है लेकिन शिखर स्तर पर ना तो कोई वार्ता हुई है और ना ही किसी तरह के संदेश का आदान-प्रदान हुआ है।
वर्ष 2018 में दोनो नेताओं ने वुहान (चीन) से अनौपचारिक वार्ता का जो सिलसिला शुरु किया था उसको लेकर भी अब कोई चर्चा नहीं है।विदेश मंत्रालय की तरफ से मंगलवार को होने वाली वुहान बैठक को लेकर यह बताया गया है ‘इसमें आतंकवाद, कारोबार के साथ ही कोविड से उत्पन्न स्थिति और इन मुद्दों पर आपसी सहयोग बढ़ाने के एजेंडे पर विमर्श होगा। वैश्विक बहुराष्ट्रीय मंचों में सुधार का एजेंडा भी अहम होगा। भारत लगातार इस मुद्दे पर सबसे ज्यादा जोर देता रहा है। इस बैठक के बाद ब्रिक्स की अध्यक्षता एक वर्ष के लिए भारत को सौंप दी जाएगी। भारत तीसरी बार ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करेगा। वर्ष 2016 में ब्रिक्स शिखर बैठक गोवा में आयोजित की गई थी।”