ध्यान की गहराई में उतरकर ही योग की पूर्णता संभव: स्वामी भारत भूषण
- सहारनपुर में साधकों के साथ योग गुरू स्वामी भारत भूषण।
सहारनपुर। योग केवल एक शारीरिक व्यायाम नहीं है, बल्कि जीवन को पूर्णता, शांति और उत्कृष्टता की ओर ले जाने की एक गहन साधना है। योग की सार्थकता तभी सिद्ध होती है, जब साधक ध्यान की गहराई में उतरते हुए समाधि के स्तर को स्पर्श करे और अपने कर्म व जीवन में गुणवत्ता लाए।
यह विचार योग गुरु स्वामी भारत भूषण ने व्यक्त किए। वर्ष 1990 में विश्व का पहला अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव प्रारंभ करने वाले तथा योग साधना के लिए प्रथम पद्मश्री सम्मान से अलंकृत स्वामी भारत भूषण ने कहा कि देश के दूरदर्शी योगी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर वर्ष 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया गया। बीते 11 वर्षों में योग दिवस वैश्विक स्तर पर अत्यंत लोकप्रिय हुआ है, जिससे भारत की संस्कृति और योग परंपरा के प्रति विश्व का आकर्षण निरंतर बढ़ा है। उन्होंने बताया कि योग को केवल शारीरिक स्वास्थ्य तक सीमित रखने की प्रवृत्ति से बचाने के उद्देश्य से भारत की पहल पर ही संयुक्त राष्ट्र महासभा ने वर्ष 2024 से 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की है।
योग दिवस के योग प्रोटोकॉल के निर्माता स्वामी भारत भूषण ने कहा कि ध्यान की गहराई से समाधि के स्तर को छूने पर कार्य में गुणवत्ता, जीवन में उत्कृष्टता, मन में प्रफुल्लता तथा विश्व में शांति और सह-अस्तित्व का वातावरण विकसित होता है। स्वामी भारत भूषण ने कहा कि योग को पूर्णता से अपनाने पर मनुष्य में स्वास्थ्य, सौंदर्य, एकाग्रता, तनावमुक्ति, शांति, उदारता और खुशहाली का भाव स्वत: विकसित होता है। उन्होंने 21 दिसंबर, विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर मोक्षायतन योग संस्थान में प्रात: 7रू45 बजे आयोजित सामूहिक ध्यान कार्यक्रम में सहभागिता कर जीवन में सही और पूर्ण योग की शुरुआत करने की प्रेरणा दी। मोक्षायतन योग संस्थान के अधिष्ठाता श्री एन. के. शर्मा ने बताया कि विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर सभी जिज्ञासु साधक गुरुदेव स्वामी भारत भूषण के प्रत्यक्ष मार्गदर्शन में ध्यान अभ्यास कर सकेंगे।
