Pele ने इस भारतीय फुटबॉलर को लगाया था गले, कहा-14 नंबर जर्सी ने गोल करने से रोका
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नई दिल्ली: एक समय था जब फुटबॉल की दुनिया में पेले पूरी दुनिया पर राज करते थे. वह सिर्फ एक खिलाड़ी ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं. शुक्रवार को 82 की उम्र में उनका निधन हो गया, मगर दुनिया उन्हें हमेशा याद रखेगी. पेले की यादें भारत से भी जुड़ी हैं. यह वह समय था, जब उनकी लोकप्रियता चरम पर थी. यह वाक्या भारत में कोलकाता का था. जब आधी रात को दमदम एयरपोर्ट पर पेले के स्वागत के लिए हजारों की संख्या में लोग उमड़ पड़े थे. यह एक ऐसा समय था, जब कोलकाता में करीब 30-40 हजार फैंस पेले को देखने के लिए आधी रात को एयरपोर्ट पर दिखाई दिए.
भारत से हजारों मील दूर स्थित ब्राजील से आए इस खिलाड़ी का स्वागत देखने वाला था. यहां पर उसका जादू सिर चढ़कर बोल रहा था. यह बात तब की है, जब खचाखच भरे ईडन गार्डेंस में 24 सितंबर 1977 को न्यूयॉर्क कोस्मोस के लिए मोहन बागान के खिलाफ खेलने के लिए पेले आए थे. इस मुकाबले में मोहन बागान ने फुटबॉल के बेताज बादशाह को गोल करने नहीं दिया. यह मैच मोहन बागान ने 2-1 से जीत ही लिया था, मगर एक विवादित पेनल्टी की वजह से स्कोर 2-2 पर बराबर रह गया.
पेले की रूचि खिलाड़ियों से मिलने की ज्यादा थी
इस ‘ड्रीम मैच’ को लेकर मोहन बगान बीते तीन माह से तैयारियां कर रही थी. टीम के कोच पी के बनर्जी ने गौतम सरकार को पेले को रोकने की जिम्मेदारी दी थी. इस मैच में गौतम ने कुछ ऐसा खेल दिखाया कि पेले गोल नहीं कर पाए. वे गौतम से बेहद प्रभावित हुए. मैच के बाद पेले का सम्मान समारोह रखा गया. यहां पर उन्हें हीरे की अंगूठी दी जाने वाली थी. मगर पेले की रूचि खिलाड़ियों से मिलने की ज्यादा थी. इस दौरान गोलकीपर शिवाजी बनर्जी सबसे पहले मिले. जब छठे खिलाड़ी (गौतम सरकार) के नाम का ऐलान हुआ तो कई लोगों के घेरे को तोड़ते हुए पेले बैरीकेड के बाहर आए. उन्होंने गौतम को गले लगा लिया. इसके बाद पेले ने कहा, 14 नंबर की जर्सी ने मुझे गोल करने नहीं दिया.
ये सुनकर गौतम सरकार पूरी तरह से स्तब्ध रहे गए. उन्होंने कहा कि यह तारीफ सुनने के बाद उन्हें ऐसा लगा कि अब क्या हासिल करना है. यह उनके करियर के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि की तरह थी. गौतम सरकार ने बताया कि जब उन्हें महीनों पहले यह बताया गया कि पेले उनकी टीम के खिलाफ मैच खेलने वाले हैं तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ. सभी ने यही कहा कि झूठ मत बोलो लेकिन बाद में पता चला कि यह सब सही होने वाला है. हमारी रातों की नींद उड़ चुकी थी.
तीन हफ्ते पहले ही इसकी तैयारियां आरंभ हो गई थी. इस मैच में पहला गोल करने वाले श्याम थापा ने बताया कि सिर्फ पेले के खिलाफ खेलने के लिए ही वे ईस्ट बंगाल से मोहन बागान में आए थे. इस मैच ने क्लब की तकदीर को बदल डाला था. मोहन बागान ने इस मैच के बाद आईएफए शील्ड फाइनल में ईस्ट बंगाल को हराया. इसके बाद रोवर्स कप और डूरंड कप में भी जीत हासिल की.