शासन में अटकी पेयजल परियोजना घोटाले की फाइल, कार्य पूरा किए बिना कराया भुगतान

राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल मिशन एवं नमामि गंगे योजना के तहत सात पेयजल परियोजनाओं के निर्माण में किए गए घोटाले की फाइल शासन स्तर पर लटकी है। शासन कार्यवाही करने को तैयार नहीं है। जबकि जांच में कार्य पूरा होने से पहले ही भुगतान करने का खुलासा हुआ। नौ अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए शासन को पत्र भेजा गया था। साथ ही वेतन से रिकवरी भी होनी थी, बावजूद अब तक कार्रवाई नहीं हो सकी।

वर्ष 2016 में इन परियोजनाओं के लिए करीब 25 करोड़ रुपये का बजट जारी हुआ था। कार्य एक वर्ष में पूरा होना था। परियोजनाओं के जलकल प्रांगण में बाउंड्री वॉल, गेट, इंटरलाकिंग रोड, मिट्टी भराव आदि के कार्य का अनुबंध देवबंद की एक फर्म के साथ हुआ था। फर्म ने पानी की सप्लाई के लिए लोहे के पाइप के स्थान पर प्लास्टिक के पाइप लगा दिए। जगह जगह से पाइप लाइन लीकेज हो रही है।
29 जून 2019 में मुख्यमंत्री ने विकास कार्यों की समीक्षा की तो विधायकों ने यह मामला उठाया था। तब मुख्यमंत्री ने तत्कालीन जिलाधिकारी आलोक कुमार पांडेय को जांच कर कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। तत्कालीन जिलाधिकारी ने टीम गठित कर जांच कराई तो घोटाला उजागर हुआ था।

तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा तत्कालीन परियोजना प्रबंधक राकेश चौधरी, परियोजना अभियंता सुदेश कुमार, वेदपाल, नरेश गुप्ता के निलंबन एवं सात सहायक अभियंताओं के जनपद से अन्यत्र स्थानांतरण की संस्तुति 31 अगस्त 2019 को की थी, लेकिन एक वर्ष बीत जाने के बाद भी प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं की गई।

उधर, वर्तमान परियोजना प्रबंधक द्वारा की गई जांच में भी परियोजनाओं के निर्माण में अनियमितता पाई गई। बिना कार्य के ही भुगतान किए जाने और अनुबंधित फर्म से कार्य न कराकर अन्य ठेकेदार को भुगतान करने पर परियोजना अभियंता एवं सहायक अभियंता के वेतन से करीब 5 करोड़ की रिकवरी किए जाने के लिए शासन को पत्र लिखा है।

विधिक कार्रवाई करते हुए दूसरी फर्म से कार्य कराया जा रहा है। पूरे प्रकरण के बारे में अधीक्षण अभियंता को अवगत करा दिया गया है। मामले में शासन स्तर से कार्रवाई होनी है। -राजेंद्र सिंह, परियोजना प्रबंधक, जल निगम सहारनपुर।