हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर से पवन जल्लाद भी दुखी, कहा- जल्द सजा सुनाई जाए, मैं फांसी देने को तैयार

हैदराबाद गैंगरेप-मर्डर से पवन जल्लाद भी दुखी, कहा- जल्द सजा सुनाई जाए, मैं फांसी देने को तैयार
  • हैदराबाद कांड से दुखी पवन जल्लाद बोले, अपराधियों को सजा न देना, नए अपराधियों को पैदा होने का मौका देना है
  • कहा, निर्भया कांड के दोषियों के लिए डेथ वॉरंट जल्द आए, मैं फांसी पर लटकाने के लिए तैयार हूं
  • दादा के साथ पहली बार दी थी दो अपराधियों को फांसी, पेशेवर जल्लाद हैं पवन
  • पवन ने कहा, ‘मुझे मुजरिमों को फांसी के फंदे पर टांगने के लिए महज दो से तीन दिन का वक्त चाहिए

नई दिल्ली: हैदराबाद के दिशा रेप कांड की बात हो या फिर दिल्ली का निर्भया कांड। ऐसे रूह कंपा देने वाले मामलों को घर बैठे नहीं रोका जा सकता। यह किसी फिल्म का डायलॉन नहीं बल्कि खूंखार अपराधियों को फंदे से लटकाने वाले पवन जल्लाद का यह कहना है। उन्होंने कहा, ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए बहुत जरूरी है कि जितनी जल्दी हो सके निर्भया के मुजरिमों को फांसी पर लटका दो। दिशा के हत्यारों को जल्दी से मुजरिम करार दिलवा दीजिए।

पवन ने कहा, हिंदुस्तान में निर्भया और दिशा कांड खुद-ब-खुद ही बंद हो जाएंगे। जब तक ऐसे जालिमों को मौत के घाट नहीं उतारा जाएगा, तब तक बाकी बचे हुए ऐसे क्रूर इंसानों में भला भय कैसे पैदा होगा? फिलहाल मेरठ में मौजूद पुश्तैनी जल्लाद पवन ने मंगलवार देर रात फोन पर बातचीत करते हुए अपने दिल में उठ रहे तमाम गुबार को बेझिझक निकाला।

कहा, अगर निर्भया के हत्यारों को सरकार लटका चुकी होती तो शायद, हैदराबाद की मासूम बेकसूर दिशा बेमौत मरने से बच गई होती। निर्भया के हत्यारों को आखिर तिहाड़ जेल में पालकर रखा ही क्यों जा रहा है? निर्भया कांड के मुजरिम हों या फिर दिशा के हत्यारे। इनका इलाज जब तक आनन-फानन में नहीं होगा, तब तक यह मुसीबतें समाज में बरकरार रहेंगीं।

निर्भया के मुजरिमों को फांसी लगाने को हूं तैयार

पवन ने कहा, मैं तो एकदम तैयार बैठा हूं। निर्भया के मुजरिमों को डेथ-वारंट मिले और मैं तिहाड़ जेल पहुचूं। मुझे मुजरिमों को फांसी के फंदे पर टांगने के लिए महज दो से तीन दिन का वक्त चाहिए। सिर्फ ट्रायल करूंगा और अदालत के डेथ वारंट को अमल में ला दूंगा।’ खुद को खानदानी जल्लाद बताते हुए पवन ने कहा, ‘इसमें मुझे शर्म नहीं लगती। मेरे परदादा लक्ष्मन जल्लाद, दादा कालू राम जल्लाद, पिता मम्मू जल्लाद थे। मतलब जल्लादी के इस खानदानी पेशे में मैं अब चौथी पीढ़ी का इकलौता जल्लाद हूं।’ पवन ने पहली फांसी दादा कालू राम जल्लाद के साथ पटियाला सेंट्रल जेल में दो भाईयों को दी थी।

दादा के साथ लगाई थी दो भाईयों को पहली फांसी
दादा के साथ अब तक जिंदगी में पांच खूंखार मुजरिमों को फांसी पर टांगने वाले पवन के मुताबिक, ‘पहली फांसी दादा कालू राम के साथ पटियाला सेंट्रल जेल में दो भाईयों को लगवाई थी। उस वक्त मेरी उम्र यही कोई 20-22 साल रही होगी। अब मैं 58 साल का हो चुका हूं।’ पवन के दावे के मुताबिक अब तक अपने दादा कालू राम के साथ आखिरी फांसी उसने बुलंदशहर के दुष्कर्म और हत्यारोपी मुजरिम को सन 1988 के आसपास लगाई थी। वह फांसी आगरा सेंट्रल जेल में लगाई गई थी। उससे पहले जयपुर और इलाहाबाद की नैनी जेल में भी दो लोगों को दादा के साथ फांसी पर लटकवाने गया था।

अपराधियों को पालना नए मुजरिमों को जन्म देने जैसा
पवन ने कहा, ‘ऐसे मुजरिमों को पालकर रखना यानी नये मुजरिमों को जन्म लेने के लिए खुला मौका देना होता है।’ पवन के मुताबिक फिलहाल उनका जीवन उत्तर प्रदेश सरकार से मिलने वाले 5 हजार रुपये महीने से जैसे तैसे चल रहा है। यह रुपये मेरठ जेल से हर महीने मिल जाते हैं।

 

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