नई दिल्ली। संसद के मानसून सत्र का दूसरा सप्ताह आज खत्म हो जाएगा लेकिन कामकाज सुचारु होने की कोई संभावना नजर नहीं आ रही है। संसद के दोनों सदनों को मिलाकर पिछले आठ सत्रों में बमुश्किल नौ घंटे का कामकाज हुआ है। विपक्ष ने पेगासस, कृषि कानूनों और अन्य मुद्दों पर संसद में विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं, जिसके कारण पिछले कुछ दिनों में दोनों सदन कई बार स्थगित हो चुके हैं। शुक्रवार को भी सदन के दोनों सदनों में हंगामे के आसार बने हुए हैं।

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कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने शुक्रवार को पेगासस के मुद्दे पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है।

लोकसभा की कार्यवाही गुरुवार को तीसरी बार दोपहर 2 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई क्योंकि विपक्षी सदस्यों ने पेगासस और अन्य मुद्दों पर अपना विरोध जारी रखा था। दोपहर 12.30 बजे जब सदन की बैठक हुई, तो कार्यवाही की अध्यक्षता कर रहे राजेंद्र अग्रवाल ने मंत्रियों द्वारा रखे जाने वाले कागजात लिए। विरोध जारी रहने पर उन्होंने सदन की कार्यवाही दोपहर दो बजे तक के लिए स्थगित कर दी।

इससे पहले दिन में लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कुछ विपक्षी सदस्यों के अभद्र व्यवहार पर नाराजगी व्यक्त की थी। ओम बिरला ने सदन में हंगामा करने वाले सांसदों को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर ऐसा ही चलता रहा तो मुझे सदन की मर्यादा बनाए रखने के लिए उन सदस्यों के खिलाफ कार्रवाई करनी होगी। सदन के कुछ सदस्य ऐसी घटनाओं को दोहरा रहे हैं जो संसद के नियमों के विरुद्ध हैं।

बता दें कि बुधवार को जब सदन में कागजात रखे जा रहे थे, कांग्रेस सांसद गुरजीत सिंह औजला, टीएन प्रतापन, हिबी ईडन और कुछ अन्य लोगों ने दिन के व्यावसायिक कागजात के साथ-साथ कागज के टुकड़े और तख्तियां भी कुर्सी पर फेंक दी थीं। फटे हुए तख्ती का एक टुकड़ा अध्यक्ष की मेज के ठीक ऊपर प्रेस गैलरी में जा गिरा। जब विपक्ष ने पेगासस जासूसी विवाद और तीन कृषि विधेयकों पर अपना विरोध जारी रखा, तो बिड़ला ने सदन को 11.30 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया था।

पिछले दिनों संसद में भारतीय विमानपत्तन आर्थिक नियामक प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक, 2021 और अंतर्देशीय पोत विधेयक, 2021 लोकसभा में बिना बहस के पारित हो गए। राज्यसभा की बात करें तो फैक्टरिंग विनियमन (संशोधन) विधेयक, 2021 भी उच्च सदन में पारित हो गया।

वहीं, बुधवार को लोकसभा में दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक को ध्वनिमत से पारित किया गया, जबकि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन विधेयक राज्यसभा में पारित हो गया।