पाकिस्तान का दावा, पीओके के विलय को लेकर उसके पास कोई प्रस्ताव नहीं

पाकिस्तान का दावा, पीओके के विलय को लेकर उसके पास कोई प्रस्ताव नहीं

पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) को लेकर पाकिस्तान ने अब स्पष्ट कर दिया है कि उसके पास इस इलाके के देश में विलय का कोई प्रस्ताव नहीं है। पिछले छह सप्ताह से लगातार पीओके के पाक में विलय संबंधी खबरों के बीच पाकिस्तान सरकार का यह दावा बेहद अहम है। पाक ने उन तमाम रिपोर्टों को भी खारिज कर दिया है जिनमें दावा किया गया था कि इमरान सरकार पीओके का विलय चाहती है।

पाकिस्तानी अखबार डॉन में छपी रिपोर्ट के मुताबिक पीओके के पाकिस्तान में विलय की शुरुआत फारूक हैदर के उस बयान से हुई थी जिसमें उन्होंने कहा था कि उन्हें यह बताया गया है कि वह पीओके के अंतिम प्रधानमंत्री होंगे। इस बयान के बाद मीडिया में पीओके के विलय की खबरें सामने आई थीं। पाक सरकार के एक नौकरशाही सेवा समूह का नाम बदलने के बाद इन खबरों को और बल मिला था।

इन अफवाहों के बीच पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आएशा फारूक ने कहा कि ऐसे किसी भी प्रस्ताव पर कोई विचार नहीं किया जा रहा है। यही नहीं बल्कि उन्होंने गिलगित-बाल्टिस्तान के दर्जें को बदलने के लिए नया नियमन लाने पर विचार करने को भी पूरी तरह से खारिज कर दिया। उन्होंने पीओके विलय को अटकल करार देते हुए कहा कि मैं मीडिया में आई खबरों पर कोई टिप्पणी करना नहीं चाहूंगी।

पीओके में है पाकिस्तानी फौज का कब्जा

पाकिस्तान वैसे तो पूरी दुनिया के सामने पीओके के स्वतंत्र क्षेत्र होने का दावा करता है लेकिन सच्चाई यह है कि यह इलाका पाक सेना के कब्जे में है। पीओके के नागरिकों ने कई बार इस्लामाबाद के विरुद्ध आवाज उठाने की कोशिश की लेकिन पाकिस्तानी फौज उन्हें कुचलती रही है। सच्चाई यह है कि पाक विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता का यह बयान भी दुनिया की नजरों में धूल झोंकने के लिए है।

आर्थिक बदहाली का असर, विश्वविद्यालयों के पास धन नहीं

पाकिस्तान की आर्थिक बदहाली का सीधा असर देश की उच्च शिक्षा पर पड़ रहा है। देश के अधिकतर विश्वविद्यालय धन की कमी से जूझ रहे हैं। पाक अखबार एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने ऑल पाकिस्तान यूनिवर्सिटी एकेडमिक एसोसिएशन (एपीयूएए) के हवाले से कहा है कि पिछले एक साल में उच्च शिक्षा संस्थानों ने जितने धन की मांग की, उसका आधा बजट ही सरकार ने मुहैया कराया है।

एपीयूएए के अध्यक्ष डॉ. सोहेल यूसुफ ने पुष्टि की कि बीते साल की तुलना में इस साल सरकार ने बजट और कम कर दिया है। उच्च शिक्षा आयोग के समाज विज्ञान परियोजना प्रबंधक मुर्तजा नूर ने कहा, मौजूदा दौर में पाकिस्तानी विश्वविद्यालयों की जो हालत है उतनी बुरी इससे पहले कभी नहीं रही है। उन्होंने बताया कि सरकार से वेतन, शोध व प्रयोगशालाओं के लिए 103 अरब रुपये मांगे गए थे लेकिन मिले सिर्फ 59 अरब रुपये।


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