संभल विवाद पर ओवैसी का हमला, कहा- ‘धर्मस्थलों में बदलाव करना कानून के खिलाफ’
नई दिल्ली: एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने संभल विवाद को लेकर योगी सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत किसी भी धर्मस्थल में बदलाव करना कानूनन संभव नहीं है। ओवैसी ने कहा, “जब यह कानून स्पष्ट रूप से लागू है, तो निचली अदालतों को भी इसे ध्यान में रखते हुए ही निर्णय लेना चाहिए।”
प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के तहत सर्वे को बताया अवैध
जब ओवैसी से पूछा गया कि क्या उन्हें सर्वे से कोई डर है, तो उन्होंने जवाब दिया, “डर नहीं, लेकिन चिंता है कि इससे देश की सामाजिक संरचना को नुकसान पहुंचेगा। ऐसे सर्वे कानून-व्यवस्था के लिए खतरा बन सकते हैं और ये सीधे तौर पर 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट का उल्लंघन हैं। बाबरी मस्जिद और राम मंदिर विवाद को छोड़कर, किसी अन्य धार्मिक स्थल को अदालत में चुनौती नहीं दी जा सकती।”
सर्वे के नाम पर अस्थिरता फैलाने का आरोप
संभल विवाद पर टिप्पणी करते हुए ओवैसी ने कहा, “सेक्शन 18 के तहत राइट टू एक्सेस की मांग की गई थी, लेकिन इसके बजाय जज ने सर्वे का आदेश दे दिया। कुछ ही घंटों में सर्वे पूरा कर लिया गया। यह सर्वे देश में अस्थिरता फैलाने की कोशिश है। बाबरी मस्जिद और राम मंदिर केस को छोड़कर किसी अन्य मामले में इस तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।”
योगी सरकार पर निशाना
ओवैसी ने संभल में हुई घटनाओं पर सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने कहा, “संभल में पांच मासूम मजदूरों की हत्या हुई। ये गरीब परिवार के लोग थे। सरकार अपनी नाकामी छिपाने के लिए ‘पठान बनाम तुर्क’ जैसी थ्योरी गढ़ रही है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि संभल केस में याचिकाकर्ता खुद उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा नियुक्त स्टैंडिंग काउंसिल है और वह सरकार के खिलाफ ही मामला दर्ज कर रहा है। ओवैसी ने इसे सरकार की दोहरी नीति करार दिया।