हमारा व्यवहार और हमारे द्वारा किए गए कर्म ही हमारा भाग्य लिखते है: रवीन्द्राचार्य
- श्रीमद् भागवत कथा का वाचन करतें स्वाती रवीद्राचार्य जी
देवबंद: नगर के लालवाला रोड स्थित शशिनगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में शुक्रवार को कथा व्यास स्वामी रविन्द्राचार्य जी महाराज ने सुखदेव जन्म की कथा सुनाई। स्वामी जी ने श्रदालुओ से श्रीमद् भागवत को सिर्फ सुनने की बजाए उसका मनन करने का भी आहवान किया।
उन्होने कहा कि परमात्मा कभी किसी का भाग्य नही लिखते हैं। जीवन के हर एक कदम पर हमारी सोच, हमारा व्यवहार और हमारे द्वारा किए गए कर्म ही हमारा भाग्य लिखते हैं। परिणाम दुःख, संस्कार दुःख, ताप गुणवृत्ति विरोध आदि के कारण विवेकी पुरुष के लिए यह सारा संसार दुखमय ही है। चित्त में इंद्रियो के राग द्वेष पैदा होते रहते है। जब किसी व्यक्ति को कामना होती है, उसके पूर्ण ना होने पर उसके मन में गहरी जलन पैदा होती है इसी का नाम ताप दुःख है. संसार के अधिकांश लोग मानस ताप से जलते रहते है। इससे बचने का एकमात्र उपाय भागवत का मनन और जप करना है। कथा के यजमान श्रीमति रक्षा व मोहन ने व्यास पीठ पर आरती कर महाराज श्री का आर्शीवाद प्राप्त किया।
कथा में भागवत कथा समिति के सदस्यो श्रीमति राजकुमारी रीना आदि तथा राजकुमार, राकेश, रोकी, प्रदीप, राजू, रामकुमार, टूल्लू सहित भारी संख्या में महिला व पुरूष् श्रदालु उपस्थित रहे।