‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर विपक्ष की प्रतिक्रिया: ओवैसी से लेकर खरगे तक की राय

‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर विपक्ष की प्रतिक्रिया: ओवैसी से लेकर खरगे तक की राय

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ को लेकर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित समिति की सिफारिशों को मंजूरी दे दी है। कैबिनेट ने इस विषय पर प्रस्ताव पास कर दिया है और अब इसे लागू करने से पहले लोगों की राय ली जाएगी। इस फैसले पर विपक्ष के नेताओं की तरफ से तीखी प्रतिक्रियाएँ आई हैं।

खरगे की प्रतिक्रिया

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने इसे “व्यवहारिक रूप से असंभव” बताया और कहा कि जब चुनाव करीब आते हैं, तब इस तरह के प्रस्ताव सामने लाए जाते हैं। उन्होंने कहा, “ये योजना कभी सफल नहीं होगी और देश की जनता भी इसे स्वीकार नहीं करेगी।”

ओवैसी का कड़ा विरोध

एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने खुलकर इसका विरोध किया। उन्होंने कहा कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ संघीय ढांचे और लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। ओवैसी के अनुसार, “यह संघवाद को कमजोर करता है और लोकतंत्र से समझौता करता है, जो संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।” उन्होंने नरेंद्र मोदी और अमित शाह पर निशाना साधते हुए कहा कि बार-बार चुनाव से लोकतांत्रिक जवाबदेही में सुधार होता है।

मायावती का सकारात्मक रुख

बीएसपी प्रमुख मायावती ने इस मुद्दे पर एक संतुलित और सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “हमारी पार्टी ‘एक देश, एक चुनाव’ के प्रस्ताव का समर्थन करती है, लेकिन यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इसका उद्देश्य देश और जनहित में हो।”

इस प्रकार, विपक्ष के नेताओं की प्रतिक्रियाओं में जहां कुछ इसे संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ मानते हैं, वहीं कुछ इसे सही दिशा में उठाया गया कदम मानते हैं, बशर्ते इसके उद्देश्य सही हों।

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