मोहन भागवत के 75 साल वाले बयान को विपक्ष ने PM मोदी से जोड़ा, RSS ने बताई असली वजह

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत के 75 साल की उम्र के बाद राजनीति से पीछे हटने वाले बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है. विपक्ष ने आरएसएस प्रमुख की टिप्पणी को लेकर देश की सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर निशाना साधा है. हालांकि, संघ ने कहा कि सरसंघचालक मोहन भागवत का बयान संघ विचारक मोरोपंत पिंगले के 75वें जन्मदिन पर दिए गए उनके भाषण का संदर्भ था, लेकिन कांग्रेस और उसकी सहयोगी पार्टी शिवसेना (UBT) इसका अधूरा मतलब निकालकर राजनीतिक खिचड़ी पका रही है.
RSS ने इस बात को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह टिप्पणी केवल मोरोपंत पिंगले के संदर्भ में दी गई थी. इसके अलावा इसका किसी और से कोई लेना-देना नहीं था. वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने अब तक विपक्ष की ओर से कसे जा रहे तंज पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सरसंघचालक मोहन भागवत ने क्या दिया था बयान?
दो दिनों पहले, बुधवार (9 जुलाई, 2025) को सरसंघचालक मोहन भागवत ने ‘Moropant Pingale: The Architect of Hindu Resurgence’ नाम की अंग्रेजी पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने संघ के वरिष्ठ प्रचारक मोरोपंत पिंगले के 75 साल पूरे होने पर उनकी कही गई एक बात को याद करते हुए यह टिप्पणी की थी.
महाराष्ट्र के नागपुर जिले के वनमती ऑडिटोरियम में इकट्ठा हुए लोगों को संबोधित करते आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा था, “वरिष्ठ संघ प्रचारक मोरोपंत पिंगले ने एक बार कहा था कि जब 75 साल की उम्र की शॉल आपके कंधों पर डाली जाती है, तो इसका मतलब है कि आप अब एक निश्चित उम्र तक पहुंच चुके हैं और अब आपको पीछे हटकर दूसरों को काम करने देना चाहिए.”
उन्होंने कहा, “मोरोपंत पिंगले ने यह बात तब कही थी जब उन्हें वृंदावन में उनके 75वें जन्मदिन के मौके पर सम्मान के रूप में शॉल ओढ़ाई गई थी.” मोहन भागवत ने मोरोपंत पिंगले की सहजता की तारीफ करते हुए कहा, “वह शॉल उनके सम्मान का प्रतीक था, लेकिन उन्होंने इसके पीछे के गहरे अर्थ को समझा, कि यह एक पीढ़ीगत बदलाव का इशारा था. एक बिल्कुल हल्का इशारा कि अब युवा नेताओं को आगे आने देने का वक्त आ गया है.”
RSS प्रमुख के बयान का विपक्ष उठा रहा लाभ
वहीं, दूसरी ओर विपक्ष ने मोहन भागवत की टिप्पणी को भाजपा और आरएसएस के बीच कथित मतभेद के संकेत के रूप में उछाल दिया. विपक्ष का कहना है कि बीजेपी ने हमेशा वरिष्ठ नेताओं को पीछे हटाकर युवा नेतृत्व को आगे लाने की बात कही है और अब आरएसएस भी उसी बात को याद दिला रहा है.”
शिवसेना (UBT) की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक साफ संदेश है और बीजेपी और आरएसएस के बीच जो कुछ भी चल रहा है, वह उनके बयान से साफ नजर आ रहा है.
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “जब 2014 में BJP ने सरकार बनाई थी, तब 75 साल से ऊपर के सभी नेताओं को ‘मार्गदर्शक मंडली’ में डाल दिया गया था. अब 11 साल बाद आरएसएस भाजपा को उसकी वही बात को याद दिला रहा है. उनके बीच का आंतरिक टकराव अब सार्वजनिक हो चुका है. लेकिन इसका अंजाम क्या होगा, यह कोई नहीं जानता है.”
वहीं, कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने चुटकी लेते हुए कहा, “क्या शानदार स्वागत है. घर लौटते ही RSS प्रमुख ने याद दिला दिया कि वे 17 सितंबर, 2025 को 75 साल के हो जाएंगे. लेकिन, प्रधानमंत्री भी आरएसएस प्रमुख से कह सकते हैं कि वे भी 11 सितंबर, 2025 को 75 साल के हो जाएंगे! एक तीर से दो निशाने.”