‘एक हाथ से ताली नहीं बजती’: सुप्रीम कोर्ट ने रेप केस में की सख्त टिप्पणी, सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को दी अंतरिम जमानत

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पर लगे दुष्कर्म के एक मामले में अहम टिप्पणी करते हुए उसे अंतरिम जमानत प्रदान की। अदालत ने यह निर्णय इस आधार पर लिया कि आरोपी पिछले 9 महीनों से जेल में है, लेकिन अब तक उस पर आरोप तय नहीं हुए हैं।
न्यायालय की तीखी टिप्पणी: “वह बच्ची नहीं है”
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि जब महिला अपनी मर्जी से आरोपी के साथ गई थी, तब IPC की धारा 376 (दुष्कर्म) कैसे लगाई गई। कोर्ट ने कहा, “एक हाथ से ताली नहीं बजती। महिला 40 वर्ष की है, वह बच्ची नहीं है। वे दोनों कई बार जम्मू गए और पति को कोई आपत्ति नहीं हुई?”
आरोपी को नियमों के तहत दी गई जमानत
शीर्ष अदालत ने कहा कि आरोपी को अधीनस्थ न्यायालय में पेश किया जाए और उसे शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दी जाए। न्यायालय ने निर्देश दिए कि आरोपी न तो महिला से संपर्क करेगा और न ही जमानत का दुरुपयोग करेगा। अदालत ने यह भी सवाल किया कि “ऐसे लोगों से आखिर कौन प्रभावित होता है?”
क्या है पूरा मामला?
यह मामला एक 40 वर्षीय महिला द्वारा सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर पर लगाए गए गंभीर आरोपों से जुड़ा है। शिकायत के अनुसार, 2021 में महिला ने अपने ब्रांड प्रचार के लिए युवक से संपर्क किया था। आरोप है कि बातचीत के दौरान युवक ने प्रचार सामग्री के लिए iPhone मांगा, जिसे महिला ने जम्मू स्थित एप्पल स्टोर से दिलवाया। लेकिन जब युवक ने फोन बेचने की कोशिश की, तो उनके संबंध बिगड़ गए।
दुष्कर्म और ब्लैकमेल के गंभीर आरोप
महिला का आरोप है कि युवक ने उसे एक शूट के बहाने कनॉट प्लेस ले जाने के लिए राजी किया, जहां नशीला पदार्थ देकर बेहोश किया और फिर सुनसान जगह पर ले जाकर यौन उत्पीड़न किया। साथ ही, आरोपी ने उसके पर्स से पैसे भी चुराए और अश्लील तस्वीरें खींचीं।
शिकायत के अनुसार, इसके बाद युवक ने ब्लैकमेल कर उसे कई बार जम्मू बुलाया और ढाई वर्षों तक यौन शोषण व धमकी दी। FIR में IPC की कई धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें 376 (दुष्कर्म), 354, 506, और 509 शामिल हैं।
हाईकोर्ट से इनकार, सुप्रीम कोर्ट से राहत
इससे पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने आरोपी को जमानत देने से इनकार कर दिया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने गंभीरता से मामले की परिस्थितियों की समीक्षा करते हुए उसे अंतरिम राहत दी है।