तीसरे दिन भी जैन श्रावकों ने मंदिरों में की पूजा-अर्चना

- सहारनपुर में जैन मंदिर में पूजा-अर्चना करते श्रद्धालु।
सहारनपुर [24CN]। दश लक्षण पर्व के धर्म उपलक्ष में जनपद के सभी जैन मंदिरों में जैन श्रावकों द्वारा प्रभु की बड़े ही भक्ति भाव से पूजा-अर्चना की गई। आज तीसरे दिन उत्तम आजर्व धर्म की आराधना करते हुए उसकी महत्ता और सार्वभौमिकता को साकार करने का भी नियम लिया गया। दश लक्षण महापर्व के तृतीय दिवस पर उत्तम आजर्व धर्म की महत्ता को बताते हुए आवास विकास के चौधरी संजीव जैन ने बताया कि आजर्व धर्म का महत्व है कि सहजता और सरलता। बिना किसी द्वेष, लालच व मोहमाया में लिपटे हुए सहजता पूर्वक व्यवहार करना ही जैन कहा जाता है। उन्होंने बताया कि जैन धर्म में दशलक्षण का बहुत अधिक महत्व है। यह दशलक्षण धर्म ही है जो व्यक्ति को श्रावक की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देता है। उसके अंदर की सभी बुराइयों को बाहर कर उसे पावन बना देता है।
उन्होंने बताया कि उत्तम आजर्व, आत्मा का अपना स्वभाव होता है। इसे छिपाने की आवश्यकता नहीं होती, लेकिन जब इसे छिपाया जाए अथवा मन, वचन, काया अलग-अलग हो उनमें एकरूपता न हो तो वही धोखा व ठगी है। चाहे वह अपने साथ की गई हो या दूसरे के साथ और अक्सर जब इंसान दूसरों को धोखा देने की मंशा जब करता है तो वह स्वयं को पहले भ्रमित करता है। उन्होंने कहा कि मन, वचन, काया की एकरूपता ही सहज और सरल है और उसे ही उत्तम आजर्व कहा गया है। इस दौरान संजय जैन, अनिल जैन, मनीष जैन, नवीन जैन, अनिल जैन, सुखमाल जैन, सतपाल जैन, अभिषेक जैन, बालेश जैन, सुधीर जैन, संजीव जैन, अजय जैन, राजपाल जैन, मनोज जैन, राकेश जैन, आशीष जैन, विपिन जैन आदि मौजूद रहे।