चौथे दिन भी श्रद्धालुओं ने की पूजा-अर्चना

- सहारनपुर में जैन बाग स्थित मंदिर में पूजा-अर्चना करते श्रद्धालु।
सहारनपुर [24CN]। दक्ष लक्षण पर्व के चतुर्थ दिवस पर आज श्रद्धालुओं ने उत्तम शौच धर्म की पूजा अर्चना और आराधना की। प्रभात में सूर्य की किरण के साथ मंदिर में श्रद्धालुओं का आवागमन शुरू हो गया श्रद्धालुओं ने श्रीजी का अभिषेक करने के पश्चात इंद्र वेश में पूजा अर्चना का प्रारंभ किया संगीतमय पूजा अर्चना को देख और सुनकर हर कोई भक्ति भाव में सराबोर होता दिखाई दिया।
उत्तम शौच धर्म अर्थात क्रोध मान माया और लोग से मुक्त होना ही उत्तम सोच कहलाता है आत्मा की निर्मलता होना उत्तम शौच धर्म है। सहारनपुर नगर के सभी जैन मंदिरों और जिनालयो मैं आप सहजता से श्रद्धालुओं को समर्पण भाव के साथ पूजा अर्चना करते देख सकते है। वही मंदिर की शोभा देखते ही बनती है। विद्युत लाइटों से सुसज्जित मंदिर जी दूर से ही देखने में बड़े ही आकर्षक लग रहे हैं तो वहीं मंदिर के अंदर विभिन्न तरह के मांडले सभी का मन लुभा कर उनमें भक्ति भाव जागृत कर रहे हैं। प्रात: होने वाली शांति धारा में सभी जैन मंदिरों में जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन के स्वास्थ्य मैं अधिक से अधिक और शीघ्र लाभ हो इसकी कामना करते हुए प्रभु को नमन किया और शांति धारा की तथा विशेष पूजा अर्चना करते हुए मंत्र जाप भी किया।
आवास विकास के चौधरी संदीप जैन ने बताया कि जैन श्रावको के लिए दक्ष लक्षण धर्म सर्वाधिक महत्वपूर्ण है अशुभ कर्मों से मलिन आत्मा को शुद्ध करने के लिए मिट्टी अग्नि जल समर्थ नहीं है इसके लिए ज्ञान तप ध्यान धर्म रूप एंजेल से आत्मा का प्रक्षालन कर उसे शुद्ध किया जा सकता है हजारों बार मिट्टी के घड़े के जल से या तीर्थों पर स्नान करने से पाप और दुराचार नहीं धुलता है। संतोषी बने बिना शौच धर्म की प्राप्ति नहीं हो सकती है। चौधरियान जैन मंदिर जी में भी जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन के लिए विशेष पूजा अर्चना की गई। इसकी जानकारी देते हुए अनिल जैन मंटू ने बताया की प्रतिदिन जैन समाज के अध्यक्ष के स्वास्थ्य लाभ के लिए यहां शांति धारा की जाती है और उन्हें उम्मीद नहीं बल्कि विश्वास है कि जल्दी ही स्वस्थ होकर जैन समाज के अध्यक्ष राजेश कुमार जैन हम सभी के बीच में होंगे।
जैन समाज के महामंत्री संजीव जैन ने बताया कि आज दक्ष लक्षण पर्व के चौथे दिन सभी मंदिरों में उत्तम शौच धर्म की पूजा अर्चना और आराधना की गई। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार हजारों मन साबुन लगाकर कोयले को दिलवाया जाए तब भी वह अपने कालेपन को त्याग कर सफेद पन को प्राप्त नहीं हो सकता। उसी प्रकार यह शरीर भी दुनिया भर के साबुन तेल चंदन आदि से संबंधित नहीं हो सकता पवित्र नहीं हो सकता शरीर सदा अमंगल ही रहता है। इसीलिए जानी महान महात्माओं मुनियों ने शरीर को शुचि ना मानकर उस अमंगलमय शरीर में स्थित मंगलमय शुद्ध आत्मा तत्व को ही शुचि माना है। जैन बाग स्थित श्री दिगंबर जैन पंचांग समिति मंदिर जी मैं भी पुरुष महिला और बच्चे श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी हुई दिखाई दी वातावरण पूर्ण कहां अध्यात्मिक दिखाई दे रहा था और इस आध्यात्मिक वातावरण में हर कोई को गोते लगाना चाह रहा था। उन्होंने बताया कि दक्ष लक्षण महापर्व को सभी जैन मंदिरों में गाइड लाइन के अनुसार मनाया जा रहा है उन्होंने कहा कि उत्तम शौच धर्म का अंगीकार तभी संभव है जब संतोष को ग्रहण कर लिया हो।
अनिल जैन ने शौच धर्म के बारे में विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि शौच से आशय शुचिता अर्थात पवित्रता से है जब हम इसका स्मरण करते हैं तो अपनी देह की मलिनता को देखते हैं, जबकि हमें अपनी आत्मा को पवित्र कर रखना है। पर्वाधीराज दक्षलक्षण महापर्व के उपलक्ष में प्रभु की वाणी का श्रवण करने उसको जीवन में धारण करने का संकल्प श्रद्धालुओं ने लिया सभी मंगलकारी अनुष्ठान में कुलभूषण जैन राकेश जैन वीरेंद्र जैन दिनेश जैन सरवन जैन प्रवीण जैन अरिंज जैन आकाश जैन मोहित जैन प्रकाम जैन आयुष जैन राजा टीटू जैन टीटी जैन संजय जैन अनुज जैन प्रदीप जैन बिट्टू जैन अनिल जैन बॉबी जैन अनीश जैन पंकज जैन नवीन जैन संचित जैन अंकुर जैन गौरव जैन दीपक जैन श्रेयांश संयम जैन अभिषेक जैन गौरव जैन प्रदीप जैन आदि का विशेष सहयोग रहा इस अवसर पर सभी जैन मंदिरों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ी रही।