नई दिल्ली। पाकिस्तान में पिछले दिनों आया सियासी भूचाल भले ही शांत हो गया है, लेकिन आने वाले दिनों में यहां पर बड़ा फेरबदल होने की आशंका जताई जा रही है। ऐसी आशंका पाकिस्तान के हालातों पर नजर रखने वाले जानकार जता रहे हैं। इन जानकारों की राय में आने वाले दिनों में नवाज शरीफ देश वापस आने वाले हैं। ऐसे में पाकिस्तान के सियासी हालात भी जरूर बदलेंगे। जवाहरलाल नेहरू के प्रोफेसर एच एस भास्कर का कहना है कि नवाज की स्वदेश वापसी देश की राजनीति में बड़े संकेत की तरफ इशारा कर रही है। स्वदेश वापसी के बाद नवाज की देश की राजनीति में बड़ी भूमिका तय है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यही है कि नवाज किस बड़ी भूमिका में सामने आ सकते हैं।
सत्ता में बदलाव से तय हुई नवाज की वतन वापसी
प्रोफेसर भास्कर का कहना है कि मौजूदा समय में देश की कमान शहबाज शरीफ के हाथों में है। नवाज की वापसी भी इसीलिए हो रही है। यदि देश की सत्ता में ये बदलाव नहीं हुआ होता तो नवाज की भी वापसी नहीं होती। ऐसा इसलिए भी है, क्योंकि नवाज के खिलाफ कई बड़े मामले कोर्ट में निलंबित हैं। शहबाज के पीएम रहते हुए ये मामले दोबारा नहीं खुलेंगे। ये बात तय है, लेकिन नवाज को कानूनी पचड़े से निकालना जरूरी होगा। इसके लिए ये जरूरी होगा कि नवाज को कोई ऐसा पद दे दिया जाए, जहां तक कोर्ट की पहुंच न हो। ये पद राष्ट्रपति का भी हो सकता है। देश का राष्ट्रपति बनने के बाद नवाज को इम्यूनिटी मिल जाएगी और वो कानूनी पजड़े से भी बच जाएंगे।
नवाज को पीएम का पद या फिर कुछ और बड़ी जिम्मेदारी
प्रोफेसर भास्कर की मानें तो शहबाज अपने बड़े भाई के लिए पीएम पद छोड़ भी सकते हैं, लेकिन ऐसे में देश की जनता के बीच एक गलत संदेश जाएगा। इसलिए फिलहाल इसकी उम्मीद कम ही है। नवाज तीन बार पहले भी देश के पीएम बन चुके हैं, लेकिन वो एक भी बार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। नवाज का राष्ट्रपति बनना एक राजनीतिक समझौते के तहत भी हो सकता है। नवाज को इस पद पर बिठाने के लिए मौजूदा राष्ट्रपति आरिफ अल्वी को हटाना होगा। इसमें ज्यादा मुश्किल नहीं आनी चाहिए। वैसे भी शहबाज के पीएम बनने के दौरान अल्वी ने अपना पद छोड़ने की मंशा व्यक्त की थी।
मुकदमों से बचना भी जरूरी
प्रोफेसर भास्कर का कहना है कि शरीफ परिवार के खिलाफ जारी मुकदमों को साइड लाइन करने और आने वाले आम चुनाव को अपने पक्ष में करने के लिए ये जरूरी है कि सत्ता के शीर्ष पर अपने लोगों को बिठाया जाए। पाकिस्तान में शहबाज ने कुछ सूबों में गवर्नर बदलने की शुरुआत भी कर दी है। वो उन लोगों को इन पदों पर बिठा रहे हैं जो पूर्व में नवाज के बेहद करीबी और विश्वास पात्र रहे हैं। इसका मकसद केवल यही है कि शरीफ परिवार के खिलाफ मुकदमों को खत्म या फिर ठंडे बस्ते में डाल दिया जाए।
माहौल को अपने पक्ष में करने की जुगत
नवाज की वापसी में अभी कुछ समय है, लेकिन उससे पहले ही देश के सियासी हालातों को अपने पक्ष में करने की कवायद की जा रही है। भास्कर का कहना है कि आने वाले आम चुनाव काफी अहम होंगे। ऐसा इसलिए क्योंकि इमरान खान पद से हटने के बाद लगातार रैलियां करने और अपने समर्थकों को सड़क पर उतरकर विरोध जताने का एलान कर चुके हैं। इन चुनावों से पहले शहबाज सरकार को कम से कम बुनियादी चीजों पर जी-जान लगाकर काम करना ही होगा। देश की सबसे बड़ी समस्या महंगाई है। यदि इसको कम करने में शहबाज नाकाम हुए तो उनके लिए मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं।