बूढ़ा बचपन नम आंखों से कई जवानी ढूंढ़ रहा हूं: दीवाकर गर्ग

- कवि मनमौजी को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित करते संस्था के पदाधिकारी
देवबंद [24CN] : साहित्यिक व सामाजिक संस्था चेतना की ओऱ से समाजसेवी व साहित्यकार स्व. हेमवंत की स्मृति में काव्य संध्या का आयोजन किया गया। जिसमें रचनाकारों ने कविताओं के माध्यम से स्व. हेमवंत को श्रद्धांजलि दी।
बुधवार को शिक्षक नगर में आयोजित काव्या संध्या का शुभारंभ मीरा चैरसिया की सरस्वती वंदना से हुआ। दीप प्रज्जवलित अरविंद कुमार ने किया। इसमें डा. दीवाकर गर्ग ने पढ़ा कि बूढ़ा बचपन नम आंखों से कई जवानी ढूंढ़ रहा हूं, कूड़े की ढ़ेरों के भीतर रोटी पानी ढ़ूंढ़ रहा हूं। प्रह्लाद सिंह सांसी ने कहा कि दिया जो योगदान था उसको न भूलेंगे हम, चलकर हेमवंत जी की राह पर आसमां छू लेंगे हम। कुणाल धीमान ने पढ़ा कि थी समाजसेवी वो कैसे करुं गुणगान तेरा, स्वर्गीय हेमवंत जी को है दिल से नमन तेरा।
मनोज मनमौजी ने कुछ यूं कहा..सरहदों पर जां लूटाकर सो गए, वो तिरंगे को उठाकर सो गए, सिरफिरे या फिर दिवाने थे कोई, गोद की धरती में जाकर सो गए। प्रांशु जैन ने कहा..एक दिन जो व मुस्कुराते हुए रात में निकले, अजब इत्तेफाक हुआ दो चांद साथ में निकलें। मीरा चैरसिया ने पढ़ा..समाजसेवी हेमवंत जी को शत शत नमन में करती हूं, सतत प्रयास साहित्यिक जगत में है याद उसे मैं करती हूं। सुनाकर स्व. हेमवंत की श्रद्धांजलि दी।
संस्था महामंत्री गौरव विवेक ने कहा कि आज की युवा पीढ़ी को हेमवंत से कार्यों से प्रेरणा लेनी चाहिए। अध्यक्षता डा. दीवाकर गर्ग व संचालन प्रांशु जैन ने किया। इसमें आदेश चैहान, शुभम शर्मा, शिवम चैहान, ऋतेष विश्वकर्मा, तुषार, विपिन शर्मा, राखी सिंह आदि मौजूद रहे।