ऑफ द रिकॉर्डः 70 लाख प्रवासी मजदूरों ने नहीं फैलाया कोरोना, गृहराज्यों में नहीं बढ़े नए मामले

ऑफ द रिकॉर्डः 70 लाख प्रवासी मजदूरों ने नहीं फैलाया कोरोना, गृहराज्यों में नहीं बढ़े नए मामले

नई दिल्ली   तथ्य अकाट्य होते हैं, बाकी तो दुनिया विश्वास पर टिकी है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अपलोड किए गए आंकड़ों के विश्लेषण से यह बिल्कुल साफ हो गया है कि लॉकडाऊन में दसियों लाख प्रवासी मजदूरों ने कोरोना वायरस नहीं फैलाया। यह उस अनुुमान के बिल्कुल विपरीत है जो सरकार के नीति-निर्धारकों व विशेषज्ञों ने लगाया था।
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उन्होंने केंद्र व राज्य सरकारों को बताया था कि यदि प्रवासी मजदूरों को उनके गृहराज्य लौटने दिया गया तो वे कोरोना वायरस फैलाएंगे। इन अनुमानों के कारण यू.पी. और बिहार जैसे मजदूरों के मूल राज्यों ने उनकी वापसी रोकने के लिए हर संभव कोशिश की, जिससे उन्हें अभूतपूर्व मुश्किलें और पीड़ा झेलनी पड़ी।
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स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार बिहार, यू.पी. और पश्चिम बंगाल जैसे प्रवासी मजदूरों के मूल राज्यों में कोविड-19 केसों की कोई चिंताजनक वृद्धि नहीं देखी गई। सच तो यह है कि 7 जून से 13 जून के बीच के अध्ययन किए गए दिनों में बिहार में कोरोना मामलों में कमी दर्ज की गई। यू.पी. तक में शहरों में आंशिक बढ़ौतरी हुई, गांवों में तो बिल्कुल नए केस नहीं आए। यू.पी. में 7 जून को 400 केस थे, जो 13 जून को बढ़कर 528 तक पहुंच गए।
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पश्चिम बंगाल में 7 से 13 जून के बीच 435-476 के आसपास केस प्रतिदिन रहे। वैसे राज्य और केंद्र सरकार जो आंकड़े दे रही है, वे आपस में मेल नहीं खाते। मोटे-मोटे अनुमान के अनुसार लगभग 70 लाख मजदूर विभिन्न राज्यों से अपने मूल राज्य लौटे। दिल्ली, महाराष्ट्र और पंजाब जैसे राज्य, जहां से लाखों प्रवासी मजदूर चले गए, वे कोरोना की जबरदस्त मार झेल रहे हैं। 7 जून से 13 जून के बीच इन राज्यों में कोविड-19 के मामलों में तेजी देखी गई। महाराष्ट्र में 7 जून को 2739 मामले थे, जो 13 जून को बढ़ कर 3493 तक पहुंच गए। दिल्ली में इस दौरान 1320 से बढ़कर 2126 मामले हो गए।
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इस तरह पंजाब में 54 से बढ़कर कोरोना केस 99 यानी दोगुना पहुंच गए। इन राज्यों को लेकर एक सकारात्मक बात यह है कि यहां टेस्टिंग भी उसी अनुपात में बढ़ी। यह कहा जा सकता है कि यदि सरकारें थोड़ा अधिक समझदारी से काम लेतीं तो प्रवासी मजदूरों की परेशानी कम हो सकती थी।


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