नुपूर शर्मा को लगाई थी फटकार, ये होंगे देश के नए मुख्य न्यायधीश, CJI गवई ने कर दिया ऐलान
न्यायमूर्ति कांत वरिष्ठता के आधार पर इस पद के लिए अगले स्थान पर हैं, 23 नवंबर को न्यायमूर्ति गवई की सेवानिवृत्ति के बाद पदभार ग्रहण करने के पात्र होंगे। सरकार द्वारा अधिसूचित होने के बाद, वह भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे और 9 फरवरी, 2027 को अपनी सेवानिवृत्ति तक सेवा करने की उम्मीद है। उनका कार्यकाल 14 महीने का होगा।
भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) भूषण आर गवई ने सोमवार को केंद्र सरकार से सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति सूर्यकांत की सिफारिश करके अपने उत्तराधिकारी की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू कर दी। न्यायमूर्ति कांत वरिष्ठता के आधार पर इस पद के लिए अगले स्थान पर हैं, 23 नवंबर को न्यायमूर्ति गवई की सेवानिवृत्ति के बाद पदभार ग्रहण करने के पात्र होंगे। सरकार द्वारा अधिसूचित होने के बाद, वह भारत के 53वें मुख्य न्यायाधीश बन जाएंगे और 9 फरवरी, 2027 को अपनी सेवानिवृत्ति तक सेवा करने की उम्मीद है। उनका कार्यकाल 14 महीने का होगा
प्रक्रिया तय करने वाले दस्तावेज ‘मेमोरेंडम ऑफ प्रोसीजर’ के अनुसार, भारत के CJI के पद पर नियुक्ति सुप्रीम कोर्ट के सबसे सीनियर जज को दी जानी चाहिए। मामले से वाकिफ लोगों के मुताबिक, मुख्य न्यायाधीश गवई ने सोमवार सुबह न्यायमूर्ति कांत को अपने सिफारिशी पत्र की एक प्रति सौंपी। यह सिफारिश केंद्र सरकार द्वारा 23 अक्टूबर को न्यायमूर्ति गवई को लिखे गए पत्र के बाद आई है, जिसमें उनसे स्थापित परंपरा के अनुसार अपने उत्तराधिकारी का नाम तय करने का अनुरोध किया गया था
राजद्रोह पर रोक समेत कई ऐतिहासिक फैसले दिए
जस्टिस सूर्यकांत अनुच्छेद 370, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, भ्रष्टाचार, पर्यावरण और लैंगिक समानता जैसे मुद्दों पर कई अहम फैसले दिए हैं। वे उस ऐतिहासिक बेंच का भी हिस्सा रहे, जिसने औपनिवेशिक काल के राजद्रोह कानून पर रोक लगाई और नए एफआईआर दर्ज न करने का निर्देश दिया था। उन्होंने चुनाव आयोग को बिहार के 65 लाख मतदाताओं के बहिष्कार से जुड़ी जानकारी सार्वजनिक करने का निर्देश दिया था और बार असोसिएशनों में एक-तिहाई सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित करने का ऐतिहासिक आदेश भी दिया। उन्होंने रक्षा बलों की वन रैंक वन पेंशन (OROP) योजना को संवैधानिक रूप से वैध ठहराया और महिला सैन्य अधिकारियों की स्थायी नियुक्ति से जुड़ी याचिकाओं की सुनवाई जारी रखी। वे सात जजों की उस पीठ में भी शामिल थे, जिसने 1967 के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) फैसले को पलट दिया, जिससे यूनिवर्सिटी की अल्पसंख्यक स्थिति पर पुनर्विचार का रास्ता खुला।
नुपूर शर्मा को फटकार
पैगम्बर मोहम्मद पर विवादित टिप्पणी करने वाली बीजेपी की पूर्व नेता नूपुर शर्मा की याचिका पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने सख्त टिप्पणी की थी। दिल्ली पुलिस को भी लताड़ लगाई गई थी। नूपुर शर्मा को फटकार लगाने वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच में शामिल जस्टिस सूर्यकांत अपनी सख्त टिप्पणियों के बाद सोशल मीडिया में काफी चर्चा में थे।
