अब कौन होगा नकुड़ से भाजपा प्रत्याशी?

अब कौन होगा नकुड़ से भाजपा प्रत्याशी?

लखनऊ/नकुड़ [दिग्विजय]: नकुड़ विधानसभा से मंत्री रहे धर्म सिंह सैनी के भाजपा से त्यागपत्र देने के बाद अब सवाल उठने लगा है कि नकुड़ विधान सभा से भारतीय जनता पार्टी के लिए उम्मीदवार कौन होगा? इसमें कोई दोराय नहीं है कि भाजपा के पास उम्मीदवारो की एक लंबी फेहरिस्त है। लेकिन नकुड़ विधानसभा पर उचित उम्मीदवार का चुनाव करना उतना ही आवश्यक है जितना उत्तर प्रदेश में पार्टी की सरकार बनना।

नकुड़ विधानसभा क्षेत्र से मिल रही लोगों की प्रतिक्रिया को यदि आधार बनाया जाए तो इस बार स्थानीय कार्यकर्ता को ही उम्मीदवार बनाना पार्टी के लिए लाभप्रद रहेगा। भाजपा के पास क्षेत्र में एक से बढ़कर एक स्थानीय नेता व कार्यकर्ता है। राज सिंह माजरा, पवन सिंह रावल, डॉ ओमपाल सिंह, शिवकुमार गुप्ता, पवन सिंह राठौर आदि प्रमुख वरिष्ठ स्थानीय नेता ऐसे है जो क्षेत्र में अच्छा खासा व्यक्तिगत प्रभाव रखते है और पार्टी को विधान सभा में विजयश्री दिलाने में सक्षम है।

नकुड़ ब्लॉक प्रमुख सुभाष चौधरी भी टिकट दावेदारों की लिस्ट में है लेकिन यदि वारिष्टता और सामाजिक दायरे की बात की जाए तो सुभाष चौधरी इसमें थोड़ा पिछड़ते हुए नजर आते है। हालाँकि यह पार्टी को तय करना है कि वो सुभाष चौधरी पर दांव खेले या नहीं?

कयास यह भी लगाया जा रहा है कि पार्टी सहारनपुर लोकसभा सीट के पूर्व सांसद राघवलखन पाल को भी नकुड़ विधान सभा से चुनाव मैदान में उतार सकती है। लेकिन क्षेत्र में राघव लखन पाल की छवि बहुत ही संकुचित राजनेता की है इसलिए ऐसा करने पर पार्टी को नुकसान होने की संभावना अधिक है। ऐसा कहा जाता है कि सांसद होते हुए राघवलखन पाल फ़रियाद लेकर उनके आवास पर जाने वालों लोगों से मिलना उचित नहीं समझते थे। सुनने में आया कि नकुड़ से ब्राह्मण समाज का प्रतिनिधि मण्डल एक बार उनको समाज के कार्यक्रम में संमलित होने के लिए उनके आवास पर निमंत्रण देने गया था। सासंद ने उनसे मिलना भी गँवारा नहीं समझा था। ऐसे अनेक उदाहरण है जो राघव को उचित दावेदार नहीं बनाते। राघव आज तक क्षेत्र के किसी भी सामाजिक या राजनीतिक कार्यक्रम में संमलित नहीं हुए यह राघव के विपरीत जाता है। इसलिए राघव की उम्मीदवारी पार्टी को नुकसान करा सकती है।

राज सिंह माजरा, पवन सिंह रावल, डॉ ओमपाल सिंह, शिवकुमार गुप्ता, पवन सिंह राठौर पार्टी के बहुत ही वरिष्ठ नेताओं में है और अपना-अपना विशेष प्रभाव क्षेत्र में रखते है। इस बार पार्टी को पैरासुट प्रत्याशी की जगह इन स्थानीय कार्यकर्ताओ पर ही दांव खेलना चाहिए।