‘अब सिर्फ बाप का नाम बदलना रह गया’, शहरों के नाम बदलने की मांग पर ये क्या बोल गए AIMIM के नेता

महाराष्ट्र में एक बार फिर शहरों के नाम बदलने की मांग उठी है और उसे लेकर राजनीति गरमाई है। फिर एक बार छत्रपति संभाजीनगर जिले में एक नया विवाद सामने आया है। सामाजिक न्याय मंत्री और जिले के पालक मंत्री संजय शिरसाट ने खुलताबाद का नाम बदलकर रत्नपुर और दौलताबाद का नाम बदल कर देवगिरि करने की माँग की है, जिसे बीजेपी का भी समर्थन मिल रहा लेकिन मुस्लिम नेता और विपक्ष जमकर सत्तापक्ष पर इसे लेकर हमला बोल रहे है। AIMIM के नेता ने तो बाप का नाम बदलने की बात तक कह दी।
संजय शिरसाठ ने उठाई मांग
बता दें कि महाराष्ट्र सरकार के मंत्री और शिंदे शिवसेना नेता संजय शिरसाठ ने कहा कि खुलताबाद, छत्रपति संभाजीनगर जिले का एक ऐतिहासिक शहर है, जहां मुगल सम्राट औरंगजेब की कब्र स्थित है, जो लंबे समय से विवाद का केंद्र रहा है। अब इस शहर का नाम बदलकर रत्नपुर किया जाए साथ ही पास ही स्थित दूसरे अन्य शहर दौलताबाद का नाम बदलकर देवगिरि किया जाए। सामाजिक न्याय मंत्री और छत्रपति संभाजीनगर के पालक मंत्री संजय शिरसाट ने अब खुलताबाद का नाम बदलकर रत्नपुर करने की मांग उठाई है। शिरसाट ने कहा, “खुलताबाद का मूल नाम रत्नपुर था, जिसे औरंगजेब के समय बदल दिया गया। उन्होंने कई शहरों के नाम बदले, जैसे धाराशिव और नगर। महाराष्ट्र में जहां कहीं भी जगहों के नाम में ‘-बाद’ आता है- जैसे दौलताबाद, हमारा लक्ष्य उनकी मूल पहचान बहाल करना है। कैबिनेट मिनिस्टर और शिंदे शिवसेना नेता भारत गोगावाले ने भी कहा कि महायुति सरकार इस प्रक्रिया के लिए प्रतिबद्ध है, और खुलताबाद का नाम रत्नपुर करना उसी दृष्टिकोण के अनुरूप है।
बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष ने की सबसे पहले मांग
महाराष्ट्र बीजेपी प्रदेश उपाध्यक्ष और विधायक संजय केनेकर ने कहा कि मैंने संभाजीनगर के गार्जियन मिनिस्टर संजय शिरसाठ को पत्र दिया है और महाराष्ट्र सरकार से माँग की है कि खुलताबाद में औरंगज़ेब नहीं बल्कि छत्रपति संभाजी महाराज का स्मारक बने । खुलताबाद नहीं वह रत्नपुर है साथ ही दौलताबाद नहीं देवगिरी है यह नाम पहले से थे जब हिंदू शासन था जब मुग़ल आए उन्होंने नाम बदले इस लिए पहले की नाम दिए जाए अभी के नाम बदले जाए। राज्य में हिंदूवादी सरकार है हम ये नाम बदलेंगे। जिनके दिमाग में हिंदू-मुसलमान है वही नेता ही सिर्फ़ ऐसे राजनीति करते है। जानकारी दे दें कि इन्होंने सबसे पहले इन शहरों के नाम बदलने की मांग सरकार से की है।
विपक्ष ने लगाया आरोप
विपक्ष ने इस कदम की कड़ी आलोचना की है, जिसमें AIMIM के प्रदेश अध्यक्ष और पूर्व सांसद इम्तियाज जलील ने महायुति सरकार पर जानबूझकर विभाजनकारी मुद्दे उठाकर अशांति भड़काने का आरोप लगाया है। छत्रपति संभाजीनगर में बोलते हुए जलील ने कहा, “अगर आप में हिम्मत है तो गुजरात के अहमदाबाद का नाम बदलकर दिखाइए।” जलील ने तर्क दिया कि राजनेता इस तरह की बयानबाजी इसलिए करते हैं क्योंकि उनके पास विकास से संबंधित कोई ठोस काम नहीं है। सत्ताधारियों को चुनौती देते हुए उन्होंने टिप्पणी की, “अब इन लोगों को सिर्फ अपने बाप का नाम बदलना बाकी रह गया है।
अबू आजमी ने कही ये बात
समाजवादी पार्टी ने भी शहरों के नाम बदलने की माँग पर बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार पर निशाना साधा है। समाजवादी पार्टी नेता अबू आसीम आज़मी ने कहा कि खुलताबाद और दौलताबाद के नाम बदलने के मुद्दे पर कहा की बीजेपी की सरकार है ये मुगलों का इतिहास मिटाना चाहती है, उनकी सरकार है जो मर्जी चाहे कर ले हम रोकेंगे नहीं क्योंकि बीजेपी यही हिंदू-मुसलमान कर वोटों की राजनीति करना चाहती है। जिन्होंने इस देश को सोने की चिड़िया बनाया उनका इतिहास मिटाया जा रहा है और जो अंग्रेज़ देश को लूट गए उनके बारे में कुछ नहीं होता। उत्तराखंड में भी नाम बदले गए बीजेपी जो चाहे कर ले इनके पास बहुमत है। हम विरोध नहीं करेंगे मुसलमानों से भी कहूँगा विरोध मत करिए हमारे विरोध से उल्टा पोलराइजेशन होता है बीजेपी जो चाहती है वही करती है।
इस मामले पर उद्धव ठाकरे से पूछा गया तो उन्होंने खुलकर तो कुछ बात नहीं की, पर बीजेपी महाराष्ट्र अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने इस मामले पर कहा कि मुगलकालीन शहरों के नाम बदलने के विषय में बीजेपी का समर्थन है।
पहले बदली जा चुके हैं शहरों के नाम
महाराष्ट्र में नामांतरण को लेकर कई बार राजनीति छिड़ी है। इस औरंगाबाद शहर में ही मराठवाड़ा विश्वविद्यालय के नाम को लेकर दंगा-फसाद हो चुका है। उसके बाद औरंगाबाद, पास के अहमदनगर और उसमानबाद का नाम लंबी मांग के बाद शिंदे फड़नवीस सरकार ने बदला। अब फिर से छत्रपति संभाजी नगर जिले के खुलताबाद और दौलताबाद के नाम बदलने की माँग पर राजनीति शुरू हो गई है।
जानकारी दे दें कि दौलताबाद, यादवों, दिल्ली सल्तनत और अहमदनगर सल्तनत की राजधानी रह चुका है। यादवों की राजधानी यादव वंश के राजा भिल्लम पंचम ने 11वीं शताब्दी में देवगिरि (दौलताबाद) को अपनी राजधानी बनाया था। वहीं, तुगलक वंश के शासक मुहम्मद बिन तुगलक ने 1327 में दिल्ली से राजधानी दौलताबाद स्थानांतरित कर दी थी। इसके अलावा, 1499 में दौलताबाद अहमदनगर सल्तनत का हिस्सा बन गया और यह उसकी दूसरी राजधानी बनी।
क्या है शहर?
दौलताबाद, महाराष्ट्र के औरंगाबाद ज़िले में स्थित है। यह शहर उत्तर और दक्षिण भारत के बीच में पड़ता है। दौलताबाद किले का निर्माण यादव राजा भिल्लम पंचम ने करवाया था। दौलताबाद किला मध्यकालीन भारत का सबसे ताकतवर किला था। दौलताबाद को पहले देवगिरि के नाम से जाना जाता था। इसी से कुछ किलोमीटर दूरी पर खुलताबाद शहर है जिसे रतनपुर कहा जाता था पर मुगलों के शासन काल में इसका नाम बदला गया। औरंगज़ेब के निधन के बाद उसकी कब्र इसी शहर में बनाई गई है।