अब नहीं कर सकेंगे प्रधान पति पंचायत के कार्यो में हस्तक्षेप
सहारनपुर [24CN] । जिले की अनेक ग्राम पंचायतों में नवनिर्वाचित ग्राम प्रधानों के पतियों की ग्राम पंचायत के कामकाज में दखलअंदाजी की मिल रही शिकायतों के चलते जिला प्रशासन ने शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। अब महिला ग्राम प्रधानों के पति ग्राम पंचायत के कामकाज में दखलअंदाजी नहीं कर सकेंगे। वहीं महिला ग्राम प्रधान को पंचायत की बैठकों में नहीं आना भी भारी पड़ सकता है। मामला संज्ञान में आने पर महिला प्रधान की अपनी प्रधानी भी गंवानी पड़ सकती है।
जिला पंचायत राज अधिकारी उपेंद्र राज सिंह ने बताया कि जनपद में ग्राम पंचायत शासकीय मानकों के अनुसार ही चलेगी। जिले में 1884 ग्राम पंचायत हैं जिनमें 188 पंचायतों में सामान्य जाति, 102 पंचायतों में पिछड़ी जाति व 86 ग्राम पंचायतों में अनुसूचित जाति की महिला ग्राम प्रधान हैं। उन्होंने बताया कि पंचायत राज अधिनियम के अनुसार ग्राम पंचायत की बैठक की अध्यक्षता ग्राम प्रधान करते हैं। शासन की योजनाओं को अमलीजामा पहनाने की जिम्मेदारी भी ग्राम प्रधान की होती है। शासन को इस बात की लगातार शिकायत मिल रही है कि महिला ग्राम प्रधान बैठकों में नहीं आती। उनके स्थान पर उनके पति बैठक में आते हैं।
आरोप है कि प्रधान पति ग्राम पंचायत के कामकाज में दखलअंदाजी करते हैं जिसका असर विकास कार्यों पर पड़ रहा है। शासकीय योजनाओं की जानकारी ग्रामवासियों को नहीं होने से वह इनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। शासन की मंशा है कि पंचायत राज एक्ट का पालन हो। शासन की योजना हर व्यक्ति तक पहुंचे क्योंकि लोकतंत्र में पंचायत विकास की पहली सीढ़ी है।
उन्होंने बताया कि ग्राम पंचायत और सभी सरकारी बैठक पंचायत घरों में ही होंगी। पंचायत घर नहीं होने पर बैठक प्राथमिक स्कूल में होगी। जिला पंचायत राज अधिकारी के अनुसार इस बारे में सहायक विकास अधिकारी पंचायत एवं ग्राम सचिव को हिदायत दी गई है। पंचायत घर की साफ-सफाई और रखरखाव कराने को कहा गया है। ऐसा होने पर ही पंचायत का कामकाज निष्पक्ष भावना से होगा तथा लोगों को भी इधर-उधर भटकना नहीं पड़ेगा।