बहजोई। संभल हिंसा की मजिस्ट्रियल जांच के लिए नियुक्त डिप्टी कलेक्टर दीपक चौधरी ने अब नौ दिसंबर को पक्ष रखने का दिन निर्धारित किया है। क्योंकि इस प्रकरण में सभी संबंधित अधिकारियों, जिनमें सीओ संभल, एसडीएम, कोतवाल और हल्का उप निरीक्षक को नोटिस जारी कर 30 नवंबर को बहजोई में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया था। हालांकि, न्यायिक आयोग की टीम के आगमन और अन्य सुरक्षा संबंधी कार्यों के कारण अधिकारी अपना पक्ष नहीं रख सके, जिसके बाद डिप्टी कलेक्टर मुरादाबाद में मंडल आयुक्त की बैठक में शामिल हो गए।शुक्रवार को जुमे की नमाज होने के कारण अब डिप्टी कलेक्टर ने पक्ष रखने की नई तिथि नौ दिसंबर निर्धारित की है। जांच के दौरान पुलिस रिपोर्ट, हिंसा से जुड़े वीडियो फुटेज और करीब 100 से अधिक व्हाट्सएप वीडियो का अध्ययन किया जा रहा है। हिंसा के दौरान गोली किसने चलाई, वह किसे लगी, और पोस्टमार्टम रिपोर्ट के तथ्यों का सत्यापन किया जाएगा।
मृतकों के परिजनों के भी लिए जाएंगे बयान
डिप्टी कलेक्टर ने सभी पक्षों को दोबारा नोटिस भेजा है और बयान दर्ज करने के बाद मृतक परिवारों के भी बयान लिए जाएंगे। जांच अधिकारी ने निष्पक्ष और गहन जांच का आश्वासन देते हुए कहा कि अखबारों में प्रकाशित खबरों और कटिंग को भी शामिल किया जाएगा ताकि हर पहलू स्पष्ट हो सके और हिंसा से जुड़े हर तथ्य की गहराई से पड़ताल की जा सके।
30 नवंबर को जिन लोगों के लिए पक्ष रखने के लिए कहा गया था, वह व्यस्तता के कारण नहीं आ सके थे न्यायिक आयोग की जांच के चलते भी कामकाज प्रभावित हुआ था। अब नौ दिसंबर को संबंधित पक्ष को बयान देने के लिए कहा गया है। दीपक चौधरी, डिप्टी कलेक्टर।
जामा मस्जिद की सर्वे रिपोर्ट सील बंद लिफाफे में की जाएगी पेश
संभल की जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा अदालत में पेश किए जाने के बाद मस्जिद में दो चरणों में हुए सर्वे की रिपोर्ट 29 नवंबर को दाखिल की जानी थी, लेकिन रिपोर्ट तैयार न हो पाने के कारण अदालत ने दस दिन का समय दिया था। अब एडवोकेट कमिश्नर द्वारा सोमवार तक सील बंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की जाएगी।19 नवंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में आठ लोगों की ओर से सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन द्वारा संभल की जामा मस्जिद में हरिहर मंदिर होने का दावा पेश किया गया था। इसी दिन एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त किए गए रमेश सिंह राघव ने दोनों पक्षों की मौजूदगी में मस्जिद का सर्वे किया था।
रात होने और भीड़ का दबाव होने के कारण उस दिन सर्वे पूरा नहीं हो सका था। इसके बाद 24 नवंबर को दोबारा सर्वे किया गया। सर्वे के विरोध में भीड़ हिंसक हो गई। जमकर पथराव फायरिंग की गई, कई वाहन फूंक दिए गए। इस हिंसा में चार लोग मारे गए। इसके बाद कोर्ट में मामले की सुनवाई को 29 नवंबर की तारीख लगी।