अब तो शांति से गुजर गया एस्ट्रॉयड Apophis, लेकिन फिर वापस आएगा तबाही का देवता
वाशिंगटन। यूं तो धरती के पास से कई छोटे और बड़े एस्ट्रॉयड गुजरते ही रहते हैं लेकिन कुछ ऐसे होते हैं जिन पर निगाह टिक जाती है। ऐसा ही एक एस्ट्रॉयड अपोफिस 99942 शुक्रवार-शनिवार की रात करीब सवा बजे धरती के पास से गुजर गया। वैज्ञानिकों ये धरती से 10,471,577 मील की दूरी से गुजर गया। इसका अर्थ ये था कि ये चांद और धरती के बीच से गुजरा है। इस एस्ट्रॉयड को गुजरते हुए सदर्न हेमीस्फेयर से देखा जा सकता था। लेकिन इसके आराम से गुजर जाने से वैज्ञानिक संतुष्ट नहीं हैं। ये एस्ट्रॉयड आकार में फ्रांस के एफिल टावर या तीन फुटबाल ग्राउंड से भी बड़ा था। यूनानी भाषा में अपोफिस को तबाही का देवता कहा जाता है। इस एस्ट्रॉयड की खोज पहली बार वर्ष 2004 में हुई थी।
वैज्ञानिकों का कहना है कि 13 अप्रैल 2029 को ये एस्ट्रॉयड एक बार फिर से धरती के बेहद करीब आएगा। उस वक्त ये एस्ट्रॉयड धरती से अनुमानित तौर पर 19800 मील की दूरी से गुजरेगा। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस आकार के एस्ट्रॉयड का धरती के इतनी पास से गुजरना काफी कम होता है। आशंका ऐसी भी जताई जा रही है कि उस वक्त ये धरती के गुरुत्वाकर्षण बल की वजह से धरती की तरफ खींच सकता है। यदि ऐसा हुआ तो ये तेजी से एक आग के गोले के रूप में धरती की तरफ बढ़ेगा। ऐसी सूरत में ये एस्ट्रॉयड तबाही मचा सकता है।
वैज्ञानिकों के मुताबिक ये करीब 1120 फीट चौड़ा है। वैज्ञानिकों ने तो इस बात की भी आशंकता जताई है कि वर्ष 2029 में इसके धरती के करीब पहुंचने से कुछ सैटेलाइट्स भी प्रभावित हो सकती हैं। उस वक्त इसको आस्ट्रेलिया के कुछ इलाकों से देखा जा सकेगा। उस वक्त ये किसी तारे की तरह आगे बढ़ता हुआ दिखाई देगा।हवाई यूनिवर्सिटी के खगोलविदों का तो यहां तक कहना है कि ये एस्ट्रॉयड अगले 48 वर्षों में पृथ्वी से टकरा सकता है। यही वजह है कि नासा के वैज्ञानिक इसको अपनी नजरों से ओझल नहीं होने देना चाहते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि ये धरती से टकराता है तो 88 करोड़ टन TNT के विस्फोट हो सकता है। यही वजह है कि वैज्ञानिक इसको धरती के लिए बेहद खतरनाक मानते हैं।
नासा की जेट प्रप्लशन लैब की राडार वैज्ञानिक मरीना ब्रोजोविक का कहना है कि वर्ष 2029 में विज्ञान के पास कई चीजों को समझने का बेहतर मौका होगा। उनके मुताबिक ये एस-टाइप या स्टोन टाइप का एस्ट्रॉयड है, जो सिलिकेट और रॉकी मेटेरियल से बना है। इसमें निक्कल और आयरन भी है। उनका कहना है कि इसको 12 इंच के डायामीटर वाले टेलिस्कोप से भी देखा जा सकता है।