कोई गम पास आ नही सकता, मेरी माॅ की दुआ ही काफी है: शमीम

कोई गम पास आ नही सकता, मेरी माॅ की दुआ ही काफी है: शमीम
  • साहित्यिक एंव सामाजिक संस्था बज्म-ए-अदब के तत्वावधान में संस्था कार्यालय फैज मंजिल लाल मस्जिद पर एक कार्यक्रम एक शाम ऐजाज अंसारी के नाम आयोजित किया गया।

देवबंद [24CN]  :  कार्यक्रम का उदघाटन समाज सेवी एंव सभासद पति सलीम ख्वाजा ने एंव शमा रोशन मुकीम अब्बासी द्वारा की गई। मुशायरे में अपना कलाम पेश करते हुए डा0 शमीम देवबंदी ने सुनाया कि कोई गम पास आ नही सकता, मेरी माॅ की दुआ ही काफी है। ऐजाज अंसारी ने सुनाया कि अजीब हाल है मेरा इसी दौर की सियासत का,यहाँ चराग ज्यादा है रोशनी कम है। चांद देवबंदी ने अपना कलाम इस प्रकार सुनाया कि मगर हिम्मत हमारी मुश्किलों से जंग लडती है, परेशानी तो पंखे से लटक जाने को कहती है। नदीम अनवर ने सुनाया कि जिन्दगी राह में पलकों को बिछा देती है, जब मेरी माॅ मुझे जीने की दुआ देती है। नूर देवबंदी ने अपना कलाम यू पेश किया कि ये गेसू तुम्हारे जो बल खा रहे है, मेरे दिल के उपर सितम ढा रहे हैं। फरीद आलम कादरी मुरादाबादी ने सुनाया कि बुझे चिरागों को फिर से जरा जला तो सही, नए ख्वाज इन आंखो में तू सजा तो सही।

सलमान दिलकश ने सुनाया कि चाहते हो जमाने में बनो तुम दिलकश, बस यही बात है काफी तुम्हे उर्दू आए।  अदनान अनवर ने कुछ इस प्रकार अपना शेर सुनाया कि मजबूरी ए हालात का तुफान बहुत है, रह जाए अगर बाकि मेरी आन बहुत है। नफीस अहमद नफीस ने सुनाया कि मंजिल पे पहुंचने को मुश्किल न समझना, हर मील के पत्थर को मंजिल न समझना।

सुहैल देवबंदी ने इस तरह अपना कलाम पेश करते हुऐ सुनाया कि इतना मशहूर हो गया हूँ मैं, मुझको बदनाम कर रहे है लोग। कार्यक्रम में इनके अलावा पुष्पेन्द्र कुमार, हसीन असंारी, डा0 उसामा, रमीज अंसारी, आदि ने भी अपने कलाम पेश किये। मुशायरे में मुख्य अतिथि दिल्ली से आये ऐजाज अंसारी तथा विशिष्ट अतिथि हाजी शमीम अहमद व फैसलनूर शब्बू रहे। कार्यक्रम के दौरान संस्था के पदाधिकारीयों व सदस्यों द्वारा ऐजाज असांरी को बैस्ट गजल अवार्ड से सम्मानित किया गया। इस दौरान डा0 दिलशाद अहमद, शाहिद मुजफ्फरनगरी, मा0 मुमताज अहमद, हसीन अहमद, मो0 मुनीब असांरी, डा0 सुहैल, नबील मसूदी, अनवार हसीन, डा0 शाहिद असंारी आदि मौजूद रहे