घुसपैठियों की अब खैर नहीं, Amit Shah ने Borders से 30 KM तक के क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध ढाँचों को हटाने के दिये निर्देश

अमित शाह ने विशेष रूप से जिलाधिकारियों, मुख्य सचिवों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) को निर्देशित किया कि वह सीमा से 30 किलोमीटर तक के क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध ढाँचों को हटाएँ। साथ ही अवैध प्रवास और बस्तियों पर गंभीरता से कार्रवाई करें।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस साल स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिये गये अपने संबोधन में इस तथ्य पर विशेष ध्यान दिलाया था कि सीमा से लगे गाँवों में अवैध प्रवास के कारण जनसंख्या संरचना में बदलाव आ रहा है और यह केवल भौगोलिक कारणों से नहीं, बल्कि एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा है। इसी परिप्रेक्ष्य में गृहमंत्री अमित शाह ने हाल ही में आयोजित वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) कार्यशाला में महत्वपूर्ण संकेत दिए।
अमित शाह ने साफ कहा कि सीमा क्षेत्रों में होने वाले जनसांख्यिकीय परिवर्तन केवल सामाजिक या प्राकृतिक प्रवाह का परिणाम नहीं हैं, बल्कि यह एक नियोजित प्रयास है। धार्मिक संरचनाओं अथवा अवैध कब्जों के माध्यम से स्थानीय जनसंख्या संतुलन बदलने की कोशिश की जाती है, जिससे दीर्घकालिक रूप से सुरक्षा पर असर पड़ता है। उन्होंने गुजरात का उदाहरण देते हुए बताया कि वहाँ भूमि और समुद्री सीमा क्षेत्रों में अवैध अतिक्रमण हटाए गए हैं।
अमित शाह ने विशेष रूप से जिलाधिकारियों, मुख्य सचिवों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPFs) को निर्देशित किया कि वह सीमा से 30 किलोमीटर तक के क्षेत्र में अतिक्रमण और अवैध ढाँचों को हटाएँ। साथ ही अवैध प्रवास और बस्तियों पर गंभीरता से कार्रवाई करें। अमित शाह ने यह भी कहा कि CAPFs और जिला प्रशासन आपस में समन्वय कर विकास योजनाओं को शत-प्रतिशत संतृप्ति तक पहुँचाएँ। हम आपको बता दें कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम का लक्ष्य केवल बुनियादी ढाँचा निर्माण तक सीमित नहीं है। इसका वास्तविक उद्देश्य सीमा क्षेत्रों के गाँवों को राष्ट्र की सुरक्षा में सहभागी बनाना है।
क्या है वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम?
वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम केंद्र प्रायोजित योजना है जिसके तहत उत्तरी सीमा से सटे अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के 19 जिलों के 46 ब्लॉक में 2,967 गांवों की व्यापक विकास के लिए पहचान की गई है। हम आपको याद दिला दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अक्टूबर 2023 में उत्तराखंड में चीन सीमा के नजदीक आखिरी गांव माणा में जब गये थे तब उन्होंने कहा था कि सीमाओं पर बसे गांव को आखिरी गांव नहीं पहला गांव कहा जाना चाहिए। इन गांवों में बनने वाले उत्पादों की तारीफ करते हुए प्रधानमंत्री पर्यटकों से भी आग्रह करते रहे हैं कि वह जब भी कहीं घूमने जायें तो स्थानीय स्तर पर बनने वाले उत्पादों को अवश्य खरीदें। प्रधानमंत्री सीमा पर बसे गांवों के लोगों को देश का प्रहरी भी बताते रहे हैं।
हम आपको बता दें कि वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम सीमाओं पर स्थित भारत के पहले गांवों और ग्रामवासियों की तकदीर बदल रहा है। सरकार का यह कदम देश की उत्तरी सीमा के सामरिक महत्व को ध्यान में रखते हुए काफी महत्वपूर्ण है। इससे इन सीमावर्ती गांवों में सुनिश्चित आजीविका मुहैया करायी जा रही है जिससे पलायन रोकने में मदद मिल रही है। इसके साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों की सुरक्षा को भी मजबूती मिल रही है।
इस योजना का उद्देश्य उत्तरी सीमा के सीमावर्ती गांवों में स्थानीय, प्राकृतिक और अन्य संसाधनों के आधार पर आर्थिक प्रेरकों की पहचान और विकास करना तथा सामाजिक उद्यमिता प्रोत्साहन, कौशल विकास तथा उद्यमिता के माध्यम से युवाओं व महिलाओं को सशक्त बनाना है। ‘‘वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम’’ के तहत इन इलाकों में विकास केंद्र विकसित करने, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक ज्ञान और विरासत को प्रोत्साहन देकर पर्यटन क्षमता को मजबूत बनाने और समुदाय आधारित संगठनों, सहकारिता, एनजीओ के माध्यम से “एक गांव एक उत्पाद” की अवधारणा पर स्थायी इको-एग्री बिजनेस के विकास पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। वाइब्रेंट विलेज कार्य योजना के तहत सभी मौसमों के अनुकूल सड़क, पेयजल, 24 घंटे, सौर तथा पवन ऊर्जा पर केंद्रित विद्युत आपूर्ति, मोबाइल तथा इंटरनेट कनेक्टिविटी, पर्यटक केंद्र, बहुद्देशीय सेंटर तथा स्वास्थ्य एवं वेलनेस सेंटर के विकास पर जोर दिया जा रहा है। साथ ही स्थानीय स्तर पर दुग्ध सहकारी समितियों का गठन किया गया है ताकि वह सेना व CAPFs को सीधे दूध उपलब्ध करा कर आजीविका कमा सकें। इसके अलावा, होमस्टे योजनाओं और राज्य पर्यटन विभागों की मदद से हर घर में रोज़गार का अवसर प्रदान करने पर जोर दिया जा रहा है।
हम आपको यह भी बता दें कि जिलाधिकारियों, मुख्य सचिवों और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों को दिये गये अपने संबोधन में गृह मंत्री अमित शाह ने विशेष रूप से अरुणाचल प्रदेश का उदाहरण दिया जहाँ VVP लागू होने के बाद सीमा गाँवों की आबादी बढ़ी है। देखा जाये तो यह संकेत है कि यदि मूलभूत सुविधाएँ, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार स्थानीय स्तर पर उपलब्ध कराए जाएँ, तो लोग पलायन नहीं करेंगे। इससे सीमा क्षेत्रों की जनसंख्या सुरक्षा कवच की तरह कार्य करेगी। यह स्पष्ट है कि सीमा सुरक्षा केवल बंकरों, तारबाड़ और हथियारों से नहीं हो सकती। इसके लिए सामाजिक-आर्थिक सशक्तिकरण अनिवार्य है। अमित शाह का जोर इसी बात पर है कि VVP को केवल विकास योजना न मानकर एक रणनीतिक सुरक्षा कार्यक्रम की तरह अपनाया जाए।
बहरहाल, केंद्रीय गृहमंत्री के वक्तव्य और प्रधानमंत्री के संकेत, दोनों ही यह दर्शाते हैं कि भारत सीमा क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव को एक गंभीर राष्ट्रीय सुरक्षा चुनौती मानता है। इसका समाधान केवल कानून-व्यवस्था के माध्यम से नहीं, बल्कि विकास और भागीदारी आधारित मॉडल से संभव है। यदि VVP को व्यापक दृष्टिकोण से लागू किया गया, तो ये सीमावर्ती गाँव केवल भारत की भौगोलिक सीमाएँ ही नहीं, बल्कि संस्कृति और सुरक्षा की जीवंत चौकियाँ भी बन जाएँगे।
