मराठी में कराओ अजान, बस बंदूके निकलेंगी… नीतीश राणे का ठाकरे को खुला चैलेंज, हिला पूरा महाराष्ट्र!

नितेश राणे ने अब ठाकरे ब्रदर्स को मदरसों में मराठी में अजान कराने की नसीहत दे डाली है। नितेश राणे ने कहा कि अलग पाठशाला करने की जरूरत ही नहीं है। महाराष्ट्र में कई मदरसे हैं। वहां उर्दू की बजाए आप मराठी शुरू करो उधर। आपकी मेहनत कम हो जाएगी। क्यों मीडिया में आने के लिए नौटंकी की जरूरत है।
महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर बढ़ते विवाद ने प्रदेश की सियासत में उबाल ला दिया है। पिछले कुछ हफ्तों से हिंदी भाषी लोगों के साथ मारपीट और गाली-गलौज की तस्वीरें सामने आई हैं। मराठी भाषा के छद्म ठेकेदार हिंदी भाषी लोगों के साथ मारपीट और गाली गलौज कर रहे हैं और उन पर मराठी बोलने का दबाव डाल रहे हैं। पिछले दिनों मराठी भाषा नहीं बोलने पर लोगों की पिटाई की जा रही है। उसे देखने के बाद मानो ऐसा लगता है कि एमएनएस कार्यकर्ता सड़क पर ही मराठी भाषा की पाठशाला चला रहे हैं। अब मंत्री नितेश राणे ने ठाकरे ब्रदर्स को खुला चैलेंज दिया है। नितेश राणे ने अब ठाकरे ब्रदर्स को मदरसों में मराठी में अजान कराने की नसीहत दे डाली है। नितेश राणे ने कहा कि अलग पाठशाला करने की जरूरत ही नहीं है। महाराष्ट्र में कई मदरसे हैं। वहां उर्दू की बजाए आप मराठी शुरू करो उधर। आपकी मेहनत कम हो जाएगी। क्यों मीडिया में आने के लिए नौटंकी की जरूरत है।
राणे उन खबरों पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिनमें कहा गया था कि कांग्रेस मुंबई के कुछ इलाकों में मराठी स्कूल (पाठशालाएँ) शुरू कर रही है। इस कदम की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि कांग्रेस को मराठी स्कूल चलाने की क्या ज़रूरत है? विपक्ष को मुसलमानों से मराठी में अज़ान देने के लिए कहना चाहिए। उर्दू की बजाय मदरसों में मराठी पढ़ाएँ। वरना वहाँ से तो बस बंदूक ही मिलेगी। उन्होंने मंदिरों के पास के व्यवसायों पर भी टिप्पणी करते हुए कहा, हमारे मंदिरों के बाहर ‘जय श्री राम’ के नारे लगते हैं, लेकिन दुकानों के अंदर अब्दुल बैठा है।
विपक्ष ने टिप्पणी को विभाजनकारी बताया
राणे की टिप्पणी पर कई विपक्षी नेताओं ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और उनकी बयानबाजी को भड़काऊ और खतरनाक बताया। एआईएमआईएम नेता वारिस पठान ने राणे और भाजपा पर धर्म और भाषा के नाम पर नफरत फैलाने का आरोप लगाया और मुख्यमंत्री से कार्रवाई करने की मांग की। कांग्रेस नेता अमीन पटेल ने राणे के दावों का खंडन करते हुए कहा मदरसे पहले से ही अंग्रेजी और हिंदी पढ़ाते हैं, और कुछ मामलों में मराठी भी। अज़ान अरबी में की जाने वाली एक धार्मिक प्रथा है, न कि भाषाई मामला।